Ravishankar Shukla भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता और एक स्वतंत्रता सेनानी थे।
वे 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आए जब नए राज्य मध्य प्रदेश के पहले प्रधानमंत्री नियुक्त हुए थे।
पंडित रविशंकर शुक्ल को नए ‘मध्य प्रदेश के पुरोधा’ के रूप में याद किया जाता है।
उन्होने राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, स्वदेशी खादी, राष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा दिया और असहयोग सविनय अवज्ञा तथा भारत छोड़ो आंदोलन में शीर्षशत्तर भूमिकाएं निभाई।1923 में नागपुर में आयोजित झंडा सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व 4 जुलाई, 1937 ई. को श्री खरे के प्रथम कांग्रेसी मंत्री मंडल में शिक्षा मंत्रि के रूप में सम्मिलित हुए तथा विद्या मंदिर योजनाओं को क्रियान्वित किया।
15 अगस्त, 1947 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 1956 तक वे इस पद पर बने रहे।
1 नवंबर, 1956 को नए मध्य प्रदेश के प्रथम संस्थापक मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
जन्म
पंडित रविशंकर शुक्ल का जन्म 2 अगस्त, 1877 में ब्रिटिशकालीन भारत में सीपी और बेरार के सागर शहर में हुआ था।
उनके पिता का नाम पंडित जगन्नाथ शुक्ल और उनकी माता का नाम श्रीमती तुलसी देवी थीं।
शिक्षा – पंडित रविशंकर शुक्ल की जीवनी
रविशंकर शुक्ल ने चार साल की आयु में सागर स्थित ‘सुन्दरलाल पाठशाला’ में दाखिला लिया।
ब्रिटिश राज में यह पाठशाला सीपी में स्थित 6 पाठशालाओं में से एक थी।
इस पाठशाला से आठ वर्ष की आयु में रविशंकर जी की प्राथमिक शिक्षा पूरी हुई।
रविशंकर जी की माध्यमिक शिक्षा पूरी होने के बाद उनके पिता राजनांद गाँव चले गये और अपने
भाई पंडित गजाधर शुक्ल के साथ ‘बेंगाल नागपुर कॉटन मिल’ में सहभागी हो गए।
कुछ साल मिल चलाने के बाद वे रायपुर चले गये।
इस दौरान रविशंकर शुक्ल ने अपनी स्कूली शिक्षा रायपुर हाईस्कूल से पूरी की।
पंडित रविशंकर शुक्ल ने इंटर की परीक्षा जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज से उत्तीर्ण की और
स्नातक की पढ़ाई वे नागपुर के ‘हिसलोप कॉलेज’ से ग्रहण की।
नागपुर में पढ़ते हुए रविशंकरजी ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ के निकट आये।
वर्ष 1898 में संपन्न हुए कांग्रेस के 13वें अधिवेशन में भाग लेने के लिए वे अपने अध्यापक के साथ अमरावती गये थे।
और नागपुर से ही इन्होंने एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी की।
करियर
- शिक्षा पूरी होने के बाद रविशंकर शुक्ल सरायपाली चले गये और सूखा राहत कार्य का निरीक्षण कार्य करने लगे। उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिये शुक्ल जी को पदोन्नत कर नायाब तहसीलदार बना दिया गया।
- 1901 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ कर जबलपुर के ‘हितकारिणी स्कूल’ में अध्यापन कार्य शुरु किया।
राजनीतिक करियर
- पंडित रविशंकर शुक्ल ने 1906 से रायपुर में वकालत शुरूकी। इसके साथ-साथ वे स्वतंत्रता आन्दोलनों में भी भाग लेते रहे।
- 1926 से 1937 तक रविशंकर शुक्ल ‘रायपुर ज़िला बोर्ड’ के सदस्य रहे।
- 1936 में प्रांतीय धारा सभा के चुनाव में रविशंकर शुक्ल जी विजयी हुए और डॉ. खरे द्वारा त्यागपत्र देने के
बाद अगस्त, 1938 से लेकर 10 नवम्बर, 1939 तक वे मुख्यमंत्री बने रहे। - 1952 में पहले आम चुनावों के बाद पंडित रविशंकर शुक्ल दोबारा मुख्यमंत्री बने। इसके बाद रविशंकर शुक्ल जी राज्य पुर्नगठन के बाद गठित नए मध्य प्रदेश के सब की सहमति से पहले मुख्यमंत्री बनाए गए।
सम्मान – पंडित रविशंकर शुक्ल की जीवनी
- शुक्ल जी की सम्मान में विधान सभा सचिवालय द्वारा 1995-1996 से उत्कृष्ट मंत्री पुरस्कार स्थापित किया गया है।
- दिल्ली में स्थित भारत के संसद भवन परिसर में रविशंकर शुक्ल की प्रतीमा मौजूद है।
- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित विश्वविद्यालय का नाम पंडित रवि शंकर शुक्ल के नाम पर है।
मृत्यु
31 दिसम्बर, 1956 को दिल्ली में पण्डित रविशंकर शुक्ल जी की मृत्यु हो गई।
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