साइना नेहवाल ( English – Saina Nehwal) भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी तथा 2015 में सर्वोच्च रैकिंग हासिल करने वाली पहली बैडमिंटन खिलाड़ी बनी।
उन्होने आठ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया। उनकी माँ भी राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी है।
2006 में अंडर- 19 नेशनल चैपियन बनी। इसी साल एशियन सेटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट जीता।
उन्होने 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीता। 2012 के लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल ने महिला एकल में कांस्य पदक जीता।
उन्हे पद्मश्री, राजीव गांधी खेल पुरस्कार मिला।
साइना नेहवाल की जीवनी – Saina Nehwal Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | साइना, सायना |
पूरा नाम | साइना नेहवाल |
जन्म | 17 मार्च 1990 |
जन्म स्थान | हिसार, हरियाणा |
पिता का नाम | डॉ॰ हरवीर सिंह नेहवाल |
माता का नाम | उषा नेहवाल |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जाति | जाट |
जन्म
Saina Nehwal का जन्म 17 मार्च 1990 को हिसार, हरियाणा में हुआ था।
उनके पिता का नाम डॉ॰ हरवीर सिंह नेहवाल जोकि हरियाणा की एक एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में काम करते हैं, तथा उनकी माता उषा रानी वे भी राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी है।
उन्होने 14 दिसंबर 2018 को मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी परुपल्ली कश्यप के साथ शादी की हैं। शादी से पहले दोनों काफी अच्छे दोस्त थे

saina nehwal and parupalli kashyap Marriage
शिक्षा
Saina Nehwal ने अपनी स्कूल की पढ़ाई की शुरुआत हरियाणा के हिसार के एक स्कूल से पूरी की.
लेकिन उनके पिता का हैदराबाद ट्रांसफर हो जाने की वजह से उनके पूरे परिवार को हैदराबाद शिफ्ट होना पड़ा था।
इसके बाद उन्होने अपनी 10 वीं की पढ़ाई फॉर्म सेंट ऐनी कॉलेज मेहदीपत्तनम, हैदराबाद से पास की है।
साइना एक पढ़ने वाली छात्रा भी थी इसके साथ ही वे खेल गतिविधियों में भी अपने स्कूल में काफी एक्टिव रहती थीं।
उन्होंने स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान कराटे भी सीखे थे, उन्हें इसमें ब्राउन बेल्ट भी मिला हुआ है।
उन्होने आठ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया।
उनके पिता भी हमेशा से ही साइना को दुनिया के एक सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन प्लेयर बनाना चाहते थे,
इसलिए उनके पिता साइना को स्कूल जाने से पहले रोजाना सुबह 4 बजे उठाकर उन्हें घंटों बैडमिंटन की प्रैक्टिस करवाने के लिए ले जाते थे।
साइना नेहवाल ने हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
करियर
2003 में जो जूनियर चेक ओपन हुआ, वह उनके करियर की शुरुआत थी, जिस टूर्नामेंट में उन्होंने जीत हांसिल की।
2004 के कॉमनवेल्थ यूथ गेम में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया।
साइना नेहवाल एक बार 2005 में और उसके बाद 2006 में अंडर- 19 नेशनल चैपियन बनी। इसी साल एशियन सेटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट जीता।
2006 में, साइना नेहवाल एक सुपर-सीरीज टूर्नामेंट, फिलीपींस ओपन जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला बनीं।
2008 में, वह वर्ड जूनियर बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतने वाले प्रथम भारतीय बनीं।
उन्होंने 2008 के चीनी ताइपे ओपन ग्रां प्री गोल्ड और भारतीय राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स खेलों को भी उसी वर्ष जीता।
2008 में उन्हें सबसे होनहार खिलाड़ी के रूप में घोषित किया गया था।
2009 में वे दुनिया की सबसे प्रमुख बैडमिंटन सीरीज – इंडोनेशिया ओपन जीतने वाली प्रथम भारतीय बन गईं। वह विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में भी पहुंची।
जनवरी 2010 में उन्होंने इंडिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज और हांगकांग सुपर सीरीज भी जीती।
2010 राष्ट्रमंडल खेलों के आठ ब्रांड एंबेसडरों में से एक, साइना ने भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक महान यादगार पल बनाने के लिए स्वर्ण पदक जीता।
2011 में उन्होंने स्विट्जरलैंड स्विस ओपन ग्रां प्री गोल्ड जीता और मलेशिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर और बीडब्ल्यूएफ सुपर सीरीज मास्टर्स फाइनल में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
2012 में साइना ने स्विस ओपन ग्रां प्री गोल्ड, थाईलैंड ओपन ग्रां प्री गोल्ड जीता.
और इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर को पुनः प्राप्त कर लिया
जिससे वह अपना तीसरा इंडोनेशियाई ओपन खिताब जीत गईं।
2012 लंदन ओलंपिक में, साइना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता और बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय बनीं।
साइना की विशाल उपलब्धि के लिए हरियाणा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों ने इन्हें बड़ी रकम में नकद पुरस्कार प्रदान किए और खेल मंत्री ने साइना को आईएएस अधिकारी के पद के बराबर नौकरी देने का वादा किया।
ओलंपिक में उनकी सफलता ने निश्चित रूप से भारत में आगे बढ़कर खेलने के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं।
साइना नेहवाल ने डेनमार्क ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर ट्रॉफी को प्राप्त करने के लिए जर्मनी की जूलियन शेन्क को 35-17 मिनट में 21-17, 21-8 से हराकर एक हावी जीत के साथ वर्ष का अपना का चौथा खिताब जीता।
लंदन खेलों के बाद यह उनका पहला टूर्नामेंट था।
इस टूर्नामेंट को जीतने के बाद प्रकाश पादुकोण ने उन्हें डेनिश ओपन सुपर सीरीज खिताब जीतने वाली एकमात्र भारतीय बना दिया।
स्पेन की कैरोलीना मरीन को फाइनल में 19-21, 25-23, 21-16 से हराकर पिछली विजेता साइना ने 2015 का इंडिया ओपन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड खिताब जीत लिया।
इसके ठीक पहले आल इंगलैंड बैडमिंटन प्रतियोगिता के फाइनल में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला बनते हुए साइना कैरोलिना से ही फाइनल में 21-16, 14-21, 7-21 से हार गयी थीं।
29 मार्च 2015 को थाइलैंड की रत्चानोक को इंडियन ओपन सुपर सीरीज़ के फाइनल में हराकर वह विश्व की शीर्ष वरीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं।
2018 में सायना नेहवाल ने 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में अंतिम दिन रविवार को महिला एकल वर्ग का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। सायना ने फाइनल में हमवतन पी.वी सिंधु को मात दी।
ऐसे में इस स्पर्धा का रजत पदक भी भारत को ही मिला है।
सायना ने भारत की झोली में 26वां स्वर्ण पदक जीता! सायना ऐसे में राष्ट्रमंडल खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं।
29 जनवरी 2020 को वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुई।
पुरस्कार

2008 में साइना नेहवाल को बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा साल की सबसे बेहतरीन और प्रतिभावान खिलाड़ी का दर्जा दिया गया।
2009 में साइना नेहवाल को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
2009-2010 में खेल जगत का सबड़े बड़ा और प्रतिष्ठित पुरस्कार ”राजीव गांधी खेल रत्न” पुरस्कार से नवाजा गया।
2010 में भारत के प्रतिष्ठित पुरस्कार पदम श्री से नवाजा गया।
2016 में साइना नेहवाल को भारत के सर्वोच्च सम्मान में से एक पदम भूषण सम्मान से पुरस्कृत किया गया।