आज इस आर्टिकल में हम आपको वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी – Vashishtha Narayan Singh Biography Hindi के बारे में बताने जा रहे है.
वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी – Vashishtha Narayan Singh Biography Hindi
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने बर्कली के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी की हुई थी.
उन्होंने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी.
इसके अलावा उन्होंने नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही रहा था उस समय वे नासा में काम करते थे लेकिन बाद में वे नौकरी छोड़ कर 1971 में भारत लौट आए.
जन्म
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 में बिहार के भोजपुर जिला में बसन्तपुर नाम के गाँव में हुआ था।
1973 में उनकी शादी वन्दना रानी सिंह से हुई ।
शादी के बाद धीरे-धीरे उनके असामान्य व्यवहार के बारे में लोगों को पता चला।
छोटी-छोटी बातों पर बहुत क्रोधित हो जाना, कमरा बन्द कर दिनभर पढ़ते रहना, रातभर जागना, उनके व्यवहार में शामिल था।
इसी व्यवहार के चलते उनकी पत्नी ने जल्द ही उनसे तलाक ले लिया।
शिक्षा और करियर
वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1962 में नेतरहाट विद्यालय से दसवीं की परीक्षा पास की और उस समय के ‘संयुक्त बिहार’ में सर्वाधिक अंक प्राप्त किया। वशिष्ठ जब पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, तब कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और 1965 में वशिष्ठ को अपने साथ अमेरिका ले गए। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बने। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धान्त पर किये गए उनके शोधकार्य ने उन्हे भारत और विश्व में प्रसिद्ध कर दिया। इसी दौरान उन्होंने नासा में भी काम किया, लेकिन मन नहीं लगा और 1971 में भारत लौट आए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई और भारतीय सांख्यकीय संस्थान, कोलकाता में काम किया।
इलाज – वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी
1974 में वशिष्ठ नारायण सिंह को पहला दिल का दौरा पड़ा था।
इसके बाद उनका इलाज राँची में करवाया गया।
पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद 1987 में वशिष्ठ नारायण अपने गांव लौट गए थे।
जब उनके भाई अगस्त 1989 को उनका रांची में इलाज कराकर बंगलुरू ले जा रहे थे तो रास्ते में खंडवा स्टेशन पर उतर गए और भीड़ में कहीं खो गए। करीब 5 साल बाद उनके गांव के लोगों को वे छपरा स्टेशन पर मिले। इसके बाद राज्य सरकार ने उनकी इलाज करवाया और उन्हें राष्ट्रीय मानसिक जाँच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान बंगलुरू इलाज के लिए भेजा गया।
जहां पर मार्च 1993 से जून 1997 तक उनका इलाज चला।
इसके बाद से वे गांव में ही रह रहे थे।
इसके बाद तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने उनकी देखभाल का जिम्मा उठाया और उनकी स्थिति ठीक नहीं होने तक उन्हे 4 सितम्बर 2002 को मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया।
करीब एक साल दो महीने उनका इलाज चला।
स्वास्थ्य में लाभ देखते हुए उन्हें वहां से छुट्टी दे दी गई थी।
कुछ समय पहले ही उनका आँखों में मोतियाबिन्द का ऑपरेशन हुआ।
कई संस्थाओं ने उन्हे गोद लेने का आग्रह किया लेकिन उनके परिवार ने ये स्वीकार नहीं किया।
मृत्यु – वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी
14 नवम्बर 2019 को वशिष्ठ नारायण सिंह की अचानक तबीयत खराब होने के चलते उन्हे पटना ले जाया गया जहाँ डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
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