वीर सावरकर की जीवनी – Veer Savarkar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको वीर सावरकर की जीवनी – Veer Savarkar Biography Hindi के बारे में बताएगे।

वीर सावरकर की जीवनी – Veer Savarkar Biography Hindi

वीर सावरकर की जीवनी
वीर सावरकर की जीवनी

(English – Veer Savarkar)वीर सावरकर भाषाविद, बुद्धिवादी, कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान् कवि और महान् इतिहासकार और ओजस्वी आदि वक्ता थे।

उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की, जिनमें ‘भारतीय स्वातंत्र्य युद्ध’, मेरा आजीवन कारावास’ और ‘अण्डमान की प्रतिध्वनियाँ’ (सभी अंग्रेज़ी में) अधिक प्रसिद्ध हैं।

वे अखिल भारत हिन्दू महासभा के 6 बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए।

1937 में वे ‘हिन्दू महासभा’ के अध्यक्ष चुने गए और 1938 में हिन्दू महासभा को राजनीतिक दल घोषित किया था।

संक्षिप्त विवरण

नाम वीर सावरकर
पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर
जन्म 28 मई 1883
जन्म स्थान भागुर, नासिक बंबई(मुंबई)
पिता का नाम दामोदर पंत  सावरकर
माता का नाम राधाबाई सावरकर
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति

जन्म

Veer Savarkar का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के भगूर गाँव में हुआ।

उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था।

उनके पिता का नाम दामोदर पंत सावरकर  था जोकि गाँव के प्रतिष्‍ठित व्यक्तियों में जाने जाते थे तथा उनकी माता का नाम राधाबाई था जब विनायक नौ साल के थे तभी उनकी माता का देहांत हो गया था।

उनके और तीन भाई –बहन थे जिनमे से दो भाई गणेश और नारायण एवं एक बहन मैना है।

उन्होने 1901 में रामचंद्र त्रिंबक चिपलूनकर की बेटी यमुनाबाई से विवाह किया।

शिक्षा – वीर सावरकर की जीवनी

Veer Savarkar ने शिवाजी हाईस्कूल नासिक से 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। बचपन से ही वे पढ़ाकू थे। बचपन में उन्होंने कुछ कविताएँ भी लिखी थीं।

फ़र्ग्युसन कॉलेज पुणे में पढ़ने के दौरान भी वे राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे। जब वे विलायत में क़ानून की शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, तभी 1910 में एक हत्याकांड में सहयोग देने के रूप में एक जहाज़ द्वारा भारत रवाना कर दिये गये।

क्रांतिकारी संगठन की स्थापना

1940 ई. में वीर सावरकर ने पूना में ‘अभिनव भारती’ नामक एक ऐसे क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आवश्यकता पड़ने पर बल-प्रयोग द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करना था।

आज़ादी के वास्ते काम करने के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी बनाई थी, जो ‘मित्र मेला’ के नाम से जानी गई।

संघर्ष

1910 ई. में एक हत्याकांड में सहयोग देने के रूप में वीर सावरकर एक जहाज़ द्वारा भारत रवाना कर दिये गये। परन्तु फ़्रांस के मार्सलीज़ बन्दरगाह के समीप जहाज़ से वे समुद्र में कूदकर भाग निकले, किन्तु दोबारा पकड़े गये और भारत लाये गये।

भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों में वीर सावरकर का नाम बेहद महत्त्वपूर्ण रहा है। महान् देशभक्त और क्रांतिकारी सावरकर ने अपना संपूर्ण जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया।

अपने राष्ट्रवादी विचारों से जहाँ सावरकर देश को स्वतंत्र कराने के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहे वहीं दूसरी ओर देश की स्वतंत्रता के बाद भी उनका जीवन संघर्षों से घिरा रहा।

जेल यात्रा

एक विशेष न्यायालय द्वारा उनके अभियोग की सुनवाई हुई और उन्हें आजीवन कालेपानी की दुहरी सज़ा मिली। सावरकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल (सेल्यूलर जेल) में रहे।

1921 में वे स्वदेश लौटे और फिर 3 साल जेल भोगी। 1937 ई. में उन्हें मुक्त कर दिया गया था, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को उनका समर्थन न प्राप्त हो सका 1947 में उन्होंने भारत विभाजन का विरोध किया।

महात्मा रामचन्द्र वीर (हिन्दू महासभा के नेता एवं सन्त) ने उनका समर्थन किया। और 1948 ई. में महात्मा गांधी की हत्या में उनका हाथ होने का संदेह किया गया।

इतनी मुश्क़िलों के बाद भी वे झुके नहीं और उनका देशप्रेम का जज़्बा बरकरार रहा और अदालत को उन्हें तमाम आरोपों से मुक्त कर बरी करना पड़ा।

योगदान – वीर सावरकर की जीवनी

  • सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
  • सावरकर पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
  • सावरकर पहले ऐसे भारतीय व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था।
  • सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में ‘स्वदेशी’ का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
  • सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का ‘स्वाधीनता संग्राम’ बताते हुए लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा।
  • सावरकर भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था।
  • सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
  • सावरकर पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
  • सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।
  • सावरकर वे पहले कवि थे, जिसने कलम-काग़ज़ के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
  • वे प्रथम क्रान्तिकारी थे, जिन पर स्वतंत्र भारत की सरकार ने झूठा मुकदमा चलाया और बाद में निर्दोष साबित होने पर माफी मांगी।

सावरकर साहित्य

वीर सावरकर ने 10,000 से अधिक पन्ने मराठी भाषा में तथा 1500 से अधिक पन्ने अंग्रेजी में लिखा है। बहुत कम मराठी लेखकों ने इतना मौलिक लिखा है। उनकी “सागरा प्राण तळमळला”, “हे हिंदु नृसिंहा प्रभो शिवाजी राजा”, “जयोस्तुते”, “तानाजीचा पोवाडा” आदि कविताएँ अत्यन्त लोकप्रिय हैं। स्वातंत्र्यवीर सावरकर की 40 पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं, जो निम्नलिखित हैं-

अखंड सावधान असावे ; 1857 चे स्वातंत्र्यसमर ; अंदमानच्या अंधेरीतून ; अंधश्रद्धा भाग 1 ; अंधश्रद्धा भाग 2 ; संगीत उत्तरक्रिया ; संगीत उ:शाप ; ऐतिहासिक निवेदने ; काळे पाणी ; क्रांतिघोष ; गरमा गरम चिवडा ; गांधी आणि गोंधळ ; जात्युच्छेदक निबंध ; जोसेफ मॅझिनी ; तेजस्वी तारे ; प्राचीन अर्वाचीन महिला ; भारतीय इतिहासातील सहा सोनेरी पाने ; भाषा शुद्धी ; महाकाव्य कमला ; महाकाव्य गोमांतक ; माझी जन्मठेप ; माझ्या आठवणी – नाशिक ; माझ्या आठवणी – पूर्वपीठिका ; माझ्या आठवणी – भगूर ; मोपल्यांचे बंड ; रणशिंग ; लंडनची बातमीपत्रे ; विविध भाषणे ; विविध लेख ; विज्ञाननिष्ठ निबंध ; शत्रूच्या शिबिरात ; संन्यस्त खड्ग आणि बोधिवृक्ष ; सावरकरांची पत्रे ; सावरकरांच्या कविता ; स्फुट लेख ; हिंदुत्व ; हिंदुत्वाचे पंचप्राण ; हिंदुपदपादशाही ; हिंदुराष्ट्र दर्शन ; क्ष – किरणें

‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस – 1857 ‘ सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक है, जिसमें उन्होंने सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था। अधिकांश इतिहासकारों ने 1857  के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक सिपाही विद्रोह या अधिकतम भारतीय विद्रोह कहा था। दूसरी ओर भारतीय विश्लेषकों ने भी इसे तब तक एक योजनाबद्ध राजनीतिक एवं सैन्य आक्रमण कहा था, जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के ऊपर किया गया था।

इतिहास

  • 1857 चे स्वातंत्र्यसमर
  • भारतीय इतिहासातील सहा सोनेरी पाने
  • हिंदुपदपादशाही

कथा

  • सावरकरांच्या गोष्टी भाग – 1
  • सावरकरांच्या गोष्टी भाग – 2

उपन्यास

  • काळेपाणी
  • मोपल्यांचे बंड अर्थात्‌ मला काय त्याचे

आत्मचरित्र

  • माझी जन्मठेप
  • शत्रूच्या शिबिरात
  • अथांग (आत्मचरित्र पूर्वपीठिका)

हिंदुत्ववाद

  • हिंदुत्व
  • हिंदुराष्ट्र दर्शन
  • हिंदुत्वाचे पंचप्राण

लेखसंग्रह

  • मॅझिनीच्या आत्मचरित्राची प्रस्तावना – अनुवादित
  • गांधी गोंधळ
  • लंडनची बातमीपत्रे
  • गरमागरम चिवडा
  • तेजस्वी तारे
  • जात्युच्छेदक निबंध
  • विज्ञाननिष्ठ निबंध
  • स्फुट लेख
  • सावरकरांची राजकीय भाषणे
  • सावरकरांची सामाजिक भाषणे

नाटक

  • संगीत उ:शाप
  • संगीत संन्यस्त खड्‌ग
  • संगीत उत्तरक्रिया
  • बोधिसत्व- (अपूर्ण)

कविता

महाकाव्य

  • कमला
  • गोमांतक
  • विरहोच्छ्वास
  • सप्तर्षी

स्फुट काव्य

  • सावरकरांच्या कविता

सम्मान

  • 1966 में वीर सावरकर के निधन पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया है।
  • उस समय हमारे देश मे राजनैतिक अस्थिरता प्रारंभ होने लगी थी तथा लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु के उपरांत इंदिरा गांधी देश की नयी प्रधानमंत्री बनी थीं।
  • अपने राजनैतिक विद्रोहियों को जवाब देने के लिये ही वीर सावरकर को यह सम्मान दिया गया था। अहिंसा के पुजारी के रूप में शायद यह हमारा ही एकमात्र देश भारत ही ऐसा हो सकता है जहां राष्ट्रपिता की हत्या के दो आरोपी फाँसी की सजा पायें और एक को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाय।
  • इनके नाम पर ही पोर्ट ब्लेयर के विमानक्षेत्र का नाम वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया है।

मृत्यु – वीर सावरकर की जीवनी

Veer Savarkar की मृत्यु 26 फरवरी 1966 में मुम्बई में हुई थी।

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