गुलशन बावरा की जीवनी – Gulshan Bawra Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको गुलशन बावरा की जीवनी – Gulshan Bawra Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

गुलशन बावरा की जीवनी – Gulshan Bawra Biography Hindi

गुलशन बावरा की जीवनी
गुलशन बावरा की जीवनी

Gulshan Bawra को एक ऐसे गीतकार के तौर पर याद किए जाते है, जिनके लिखे गीत आज की मौजूदा पीढ़ी के लिए भी प्रासंगिक लगते हैं।

उन्होने हिंदी फिल्म उद्योग में 49 वर्ष की सेवा कार्य में लगभग 250 से भी ज्यादा गीत लिखें।

1955 में मुंबई में रेलवे कलर्क के पद पर कार्य किया और भजन लिखना शुरू किया।

कल्याण जी, आनंद जी से भेंट से उनकी किस्मत चमक गई और 1958 में फिल्म सट्टा बाजार का उनका एक गीत काफी लोकप्रिय हुआ। फिल्म के वितरक शांति भाई पटेल ने उन्हें बावरा उपनाम दिया।

बावरा को फिल्म उपकार में मेरे देश की धरती और फिल्म जंजीर में यारी है ईमान मेरा गीत के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

जन्म

गुलशन का जन्म 12 अप्रैल 1937 को अविभाजित पंजाब में हुआ था।

बँटवारे की त्रासदीमें उन्होंने अपना परिवार को खो दिया और वे जयपुर आकर रहने लगे।

उनका पूरा नाम गुलशन कुमार मेहता था, लेकिन उन्हें गुलशन बावरा के नाम से प्रसिद्ध मिली ।

उनके पिता का एक निर्माण व्यवसाय था

शिक्षा – गुलशन बावरा की जीवनी

गुलशन बावरा अपने भाई की नौकरी लगने के बाद भी दिल्ली  चले गए और वहीं से उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की शिक्षा ग्रहण की और उन्होंने कॉलेज के दौरान कविता लिखना शुरू कर दिया।

करियर

गुलशन कुमार बावरा शुरुआत से ही फिल्मों में आना चाहते थे, लेकिन उन्होंने 1955 में मुंबई में रेलवे कलर्क के रूप में कार्य किया। गुलशन नेगुलशन ने फिल्म ब्रेक पाने के लिए उन्होने काफी मेहनत की शुरू में अपना काम जारी रखा ।

कल्याणजी (आनंदजी-आनंदजी के), फिर कल्याणजी वीरजी शाह के रूप में, उन्होंने अपना पहला गीत चंद्रसेना (1959) में लता मंगेशकर द्वारा गाए गए गीत “मैं क्या जानूं क्या कहूं ये सावन मतवाला रे” में दिया।

K.A. की पहली संयुक्त फिल्म, मीना कुमारी-बलराज साहनी अभिनीत फिल्म सट्टा बाजार ने उसी साल बाद में सफलता के साथ अपने पहले ब्रश को “तुम ही हो जाओगे हम तुम” (लता-हेमंत), “आके का धन” (रफी) और “चाँदी के चंद टुकडे के साथ” (हेमंत कुमार)। इस फिल्म के निर्माण के दौरान ही फिल्म के वितरक शांतिभाई पटेल ने उन्हें “बावरा” नाम दिया।

उनके लगभग आधे गाने आर.डी.बर्मन के साथ रहे हैं।

उनकी आख़िरी रिलीज़ ज़ुल्मी (1999) थी और उनकी आखिरी हिट फिल्म हकीकत (1995) के लिए “ले पपइयाँ झपियांयां पाले हम” थी,

फिल्मोग्राफी – गुलशन बावरा की जीवनी

अभिनेता के रूप में

 विश्वास (1966)  उपकार (1967) पवित्रा पापी (1970)
 प्यार की कहानी (1971) जाने-अंजाने (1971) जांगल में मंगल (1972)
 ज़ंजीर (1973) शहजादा (1972) लफंगे (1975)
 Agar… If (1977) आप के दीवाने (1980)  ये वादा रहा (1982)
बॉक्सर (1984) बसेरा

गीतकार के रूप में

 पूर्णिमा (1965) उपकार (1967) ज़ंजीर (1973)  खेल खेल में (1975)
कसमें वादे (1976) सत्ते पे सत्ता (1982) अगर तुम ना होते (1983) आवाज (1984)

सुप्रसिद्ध गीत

Song=>Movie

  • “Chand ko kya maloom chahta hai ” “Lal Bangla(1966)
  • “Chaandi ki deewar na todi” Vishwas
  • “Mere desh ki dharti” Upkar
  • “Yaari hai imaan mera” Zanjeer
  • “Sanam teri kasam” Sanam Teri Kasam”Agar tum na hote” Agar Tum Na Hote
  • “Tu tu hai wohi” Yeh Vaada Raha
  • “Aati Rahengi Baharen” Kasme Vaade
  • “Kasme Vaade Nibhayenge Hum” Kasme Vaade
  • “Jivan ke har mod pe mil jayenge humsafar” Jhoota Kahin Ka
  • “Teri Badmashiyan” Zulmi
  • “Waada karle saajana” Haath Ki Safai
  • “Peenewalon ko peene ka bahana chahiye” Haath Ki Safai
  • “Le pappiyaan jhappiyaan paale hum” Haqeeqat
  • “Pyar Hamen Kis Mod Pe” Satte Pe Satta

इसे भी पढ़े – गुलशन कुमार की जीवनी – Gulshan Kumar Biography Hindi

पुरस्कार

  • फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार – 1974 यारी है ईमान मेरा  फिल्म –ज़ंजीर
  • फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार – 1968 मेरे देश की धरती  फिल्म – उपकार

मृत्यु – गुलशन बावरा की जीवनी

गुलशन बावरा की मृत्यु 7 अगस्त 2009 को कैंसर के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

इसे भी पढ़े – 

Leave a Comment