आज इस आर्टिकल में हम आपको अमजद खान की जीवनी – Amjad Khan Biography Hindi के बारे में बताएगे।
अमजद खान की जीवनी – Amjad Khan Biography Hindi
(English – Amjad Khan)अमजद खान एक प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता हैं उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है।
उन्हें फिल्म शोले में निभाये उनके किरदार गब्बर के लिये जाना जाता है।
उन्होने 1951 में पहली बार नाजनीन फिल्म में काम किया।
इसके बाद वे 1973 में हिंदुस्तान की कसम में पहली बार प्रमुख किरदार में नजर आए।
फिल्म शोले में गब्बर के किरदार से उन्हे ख्याति मिली।
उन्होने शतरंज के खिलाड़ी, मुकद्दर का सिकंदर, याराना , नास्तिक, चमेली की शादी जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया।
संक्षिप्त विवरण
नाम | अमजद खान |
पूरा नाम | अमजद जकारिया खान |
जन्म | 12 नवंबर 1940 |
जन्म स्थान | पेशावर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) |
पिता का नाम | जयंत उर्फ जकारिया खान (अभिनेता) |
माता का नाम | कमर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म |
इस्लाम |
जाति |
पश्तून |
जन्म – अमजद खान की जीवनी
Amjad Khan का जन्म 12 नवंबर,1940 को फ़िल्मों के जाने माने अभिनेता जिक्रिया ख़ान के पठानी परिवार में आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर में हुआ था।
उनके पिता का नाम जयंत उर्फ जकारिया खान जोकि फ़िल्म इंडस्ट्री में खलनायक रह चुके थे।
अमजद ख़ान ने बतौर कलाकार अपने अभिनय जीवन की शुरूआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ से की थी।
इस फ़िल्म में अमजद ख़ान ने बाल कलाकार की भूमिका निभायी।
वर्ष 1965 में अपनी होम प्रोडक्शन में बनने वाली फ़िल्म ‘पत्थर के सनम’ के जरिये Amjad Khanबतौर अभिनेता अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले थे, लेकिन किसी कारण से फ़िल्म का निर्माण नहीं हो सका।सत्तर के दशक में अमजद ख़ान ने मुंबई से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बतौर अभिनेता काम करने के लिये फ़िल्म इंडस्ट्री का रुख किया।
करियर
अपने 16 साल के फ़िल्मी कॅरियर में Amjad Khanने लगभग 130 फ़िल्मों में काम किया।
उनकी प्रमुख फ़िल्में ‘आखिरी गोली’, ‘हम किसी से कम नहीं’, ‘चक्कर पे चक्कर’, ‘लावारिस’, ‘गंगा की सौगंध’, ‘बेसर्म’, ‘अपना खून’, ‘देश परदेश’, ‘कसमे वादे’, ‘क़ानून की पुकार’, ‘मुक्कद्दर का सिकंदर’, ‘राम कसम’, ‘सरकारी मेहमान’, ‘आत्माराम’, ‘दो शिकारी’, ‘सुहाग’, ‘द ग्रेट गैम्बलर’, ‘इंकार’, ‘यारी दुश्मनी’, ‘बरसात की एक रात’, ‘खून का रिश्ता’, ‘जीवा’, ‘हिम्मतवाला’, ‘सरदार’, ‘उत्सव’ आदि है, जिसमें उन्होंने शानदार अभिनय किया।
अमजद जी अपने काम के प्रति बेहद गम्भीर व ईमानदार थे।
परदे पर वे जितने खूंखार और खतरनाक इंसानों के पात्र निभाते थे, उतने ही वे वास्तविक जीवन और निजी जीवन में एक भले हँसने-हँसाने और कोमल दिल वाले इंसान थे।
फ़िल्म ‘शोले’ की सफलता के बाद अमजद ख़ान ने बहुत-सी हिंदी फ़िल्मों में खलनायक की भूमिका की।
70 से 80 और फिर 90 के दशक में उनकी लोकप्रियता बरक़रार रही।
उन्होंने डाकू के अलावा अपराधियों के आका, चोरों के सरदार और हत्यारों के पात्र निभाए।
प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र |
---|---|---|
1996 | आतंक | |
1994 | दो फंटूश | |
1993 | रुदाली | |
1992 | दिल ही तो है | |
1992 | आसमान से गिरा | |
1992 | वक्त का बादशाह | |
1992 | विरोधी | जज |
1991 | लव | |
1990 | लेकिन | |
1990 | महासंग्राम | |
1990 | पति पत्नी और तवायफ़ |
1983 से 1989 तक
1989 | संतोष | |
1989 | मेरी ज़बान | |
1989 | दोस्त | |
1988 | पीछा करो | |
1988 | पाँच फौलादी | दिलावर ख़ान |
1988 | दो वक्त की रोटी | |
1988 | इन्तकाम | |
1988 | मालामाल | |
1988 | बीस साल बाद | |
1988 | कंवरलाल | |
1988 | कब्रस्तान | |
1987 | एहसान | |
1987 | इंसानियत के दुश्मन | प्रताप सिंह |
1986 | जीवा | |
1986 | चमेली की शादी | वकील हरीश |
1986 | नसीहत | |
1986 | ज़िन्दगानी | भोला |
1986 | सिंहासन | |
1986 | लव एंड गॉड | |
1985 | पाताल भैरवी | |
1985 | माँ कसम | |
1985 | मोहब्बत | |
1985 | मेरा साथी | |
1985 | अमीर आदमी गरीब आदमी | अकरम |
1984 | उत्सव | |
1984 | कामयाब | |
1984 | मोहन जोशी हाज़िर हो | |
1984 | माटी माँगे खून | |
1984 | मकसद | बिरजू |
1984 | पेट प्यार और पाप | |
1983 | अच्छा बुरा |
1981 से 1983 तक
1983 | चोर पुलिस | |
1983 | बड़े दिल वाला | |
1983 | नास्तिक | टाइगर |
1983 | जानी दोस्त | |
1983 | महान | विक्रम सिंह |
1983 | हिम्मतवाला | |
1983 | हमसे ना जीता कोई | |
1983 | हम से है ज़माना | |
1982 | इंसान | |
1982 | तेरी माँग सितारों से भर दूँ | |
1982 | भागवत | |
1982 | सत्ते पे सत्ता | |
1982 | तकदीर का बादशाह | |
1982 | सम्राट | |
1982 | दौलत | |
1982 | धर्म काँटा | |
1982 | देश प्रेमी | |
1981 | कमांडर | |
1981 | लावारिस | रणवीर सिंह |
1981 | लव स्टोरी | हवलदार शेर सिंह |
1981 | लेडीज़ टेलर | |
1981 | जमाने को दिखाना है | |
1981 | बरसात की एक रात | |
1981 | जय यात्रा | |
1981 | कालिया | |
1981 | मान गये उस्ताद | |
1981 | रॉकी | रॉबर्ट डिसूजा |
1981 | खून का रिश्ता | |
1981 | वक्त की दीवार | |
1981 | नसीब |
1978 से 1981 तक
1981 | याराना | |
1981 | हम से बढ़कर कौन | |
1981 | चेहरे पे चेहरा | |
1980 | ख़ंजर | प्रिंस/स्वामीजी |
1980 | यारी दुश्मनी | बिरजू |
1980 | कुर्बानी | |
1980 | बॉम्बे 405 मील | वीर सिंह |
1980 | लूटमार | विक्रम |
1980 | राम बलराम | सुलेमान सेठ |
1980 | चम्बल की कसम | |
1979 | हमारे तुम्हारे | |
1979 | सरकारी मेहमान | |
1979 | दो शिकारी | |
1979 | एहसास | |
1979 | हम तेरे आशिक हैं | |
1979 | सुहाग | |
1979 | मीरा | शहंशाह अकबर |
1978 | सावन के गीत | |
1978 | गंगा की सौगन्ध | |
1978 | मुकद्दर |
1973 से 1978 तक
1978 | खून की पुकार | |
1978 | फूल खिले हैं गुलशन गुलशन | |
1978 | बेशरम | दिग्विजय सिंह/धर्मदास |
1978 | अपना कानून | |
1978 | मुकद्दर का सिकन्दर | |
1978 | हीरालाल पन्नालाल | |
1978 | देस परदेस | भूत सिंह/अवतार सिंह |
1978 | राम कसम | |
1977 | इंकार | |
1977 | आखिरी गोली | |
1977 | परवरिश | |
1977 | कसम कानून की | |
1977 | चक्कर पे चक्कर | |
1977 | पलकों की छाँव में | |
1976 | चरस | रॉबर्ट |
1975 | शोले | गब्बर सिंह |
1973 | हिन्दुस्तान की कसम |
गब्बर सिंह की भूमिका – अमजद खान की जीवनी
बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ‘शोले’ के किरदार गब्बर सिंह ने Amjad Khan को फ़िल्म इंडस्ट्री में सशक्त पहचान दिलायी, लेकिन फ़िल्म के निर्माण के समय गब्बर सिंह की भूमिका के लिये पहले डैनी का नाम प्रस्तावित था।फ़िल्म शोले के निर्माण के समय गब्बर सिंह वाली भूमिका डैनी को दी गयी थी, लेकिन उन्होंने उस समय फ़िल्म ‘धर्मात्मा’ में काम करने की वजह से शोले में काम करने से इन्कार कर दिया।
‘शोले’ के कहानीकार सलीम ख़ान की सिफारिश पर रमेश सिप्पी ने अमजद ख़ान को गब्बर सिंह का किरदार निभाने का अवसर दिया। जब सलीम ख़ान ने अमजद ख़ान से फ़िल्म ‘शोले’ में गब्बर सिंह का किरदार निभाने को कहा तो पहले तो अमजद ख़ान घबरा से गये, लेकिन बाद में उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और चंबल के डाकुओं पर बनी किताब ‘अभिशप्त चंबल’ का बारीकी से अध्ययन करना शुरू किया। बाद में जब फ़िल्म ‘शोले’ प्रदर्शित हुई तो अमजद ख़ान का निभाया किरदार गब्बर सिंह दर्शकों में इस कदर लोकप्रिय हुआ कि लोग गाहे-बगाहे उनकी आवाज़ और चाल-ढाल की नकल करने लगे।
मृत्यु और मृत्यु का कारण
एक कार दुर्घटना में अमजद बुरी तरह घायल हो गए।
एक फ़िल्म की शूटिंग के सिलसिले में लोकेशन पर जा रहे थे।
ऐसे समय में अमिताभ बच्चन ने उनकी बहुत मदद की।
अमजद ख़ान तेजी से ठीक होने लगे।
लेकिन डॉक्टरों की बताई दवा के सेवन से उनका वजन और मोटापा इतनी तेजी से बढ़ा कि वे चलने-फिरने
और अभिनय करने में कठिनाई महसूस करने लगे।
वैसे अमजद मोटापे की वजह खुद को मानते थे।
उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि- “फ़िल्म ‘शोले’ की रिलीज के पहले उन्होंने अल्लाह से कहा था
कि यदि फ़िल्म सुपरहिट होती है तो वे फ़िल्मों में काम करना छोड़ देंगे।”
फ़िल्म सुपरहिट हुई, लेकिन अमजद ने अपना वादा नहीं निभाते हुए काम करना जारी रखा।
ऊपर वाले ने मोटापे के रूप में उन्हें सजा दे दी।
इसके अलावा वे चाय के भी शौकीन थे।
एक घंटे में दस कप तक वे पी जाते थे। इससे भी वे बीमारियों का शिकार बने।
मोटापे के कारण उनके हाथ से कई फ़िल्में फिसलती गई।
इसके बाद 27 जुलाई, 1992 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और दहाड़ता गब्बर हमेशा के लिए सो गया।
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