आज इस आर्टिकल में हम आपको अमृता शेरगिल की जीवनी – Amrita Shergil Biography Hindi के बारे में बताएगे।
अमृता शेरगिल की जीवनी – Amrita Shergil Biography Hindi
( English – Amrita Shergil) अमृता शेरगिल भारत के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक थीं।
उनकी एक पेंटिंग यंग गर्ल्स पेरिस मेंएसोसिएशन ऑफ द ग्रैंड सैलून तक पहुंची।
ऐसी उपलब्धि पाने वाली वे पहली एशियाई महिला चित्रकार मानी जाती है।
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने उन्हे 1976 और 1979 में भारत के नौ
सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में शामिल किया।
अमृता की एक – एक पेंटिग लाखों रुपये में नीलम होती रही है।
उन्हे मुगल व पहाड़ी कला सहित अजंता की कला ने प्रेरित और प्रभावित किया।
संक्षिप्त विवरण
नाम | अमृता शेरगिल |
पूरा नाम | अमृता शेरगिल |
जन्म | 30 जनवरी, 1913 |
जन्म स्थान | बुडापेस्ट, हंगरी |
पिता का नाम | उमराव सिंह शेरगिल |
माता का नाम | मेरी एंटोनी गोट्समन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | – |
जन्म – अमृता शेरगिल की जीवनी
Amrita Shergil का जन्म 30 जनवरी 1913 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था।
उनके पिता का नाम उमराव सिंह शेरगिल तथा उनकी माता का नाम मेरी एंटोनी गोट्समन था।
उनकी माता हंगेरियन और पिता भारतीय सिख थे ।
उनका विवाह विक्टर इगान से हुआ था जो और पेशे से डॉक्टर था।
शिक्षा
उमराव सिंह जब फ़्रांस गए तो उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा के लिए पेरिस में प्रबंध किया।
जब वे पेरिस के एक प्रसिद्ध आर्ट स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं तो उनके मन में अपने कुछ सम्बन्धियों के कारण भारत आने की इच्छा जागृत हुई।
1921 में उन्होंने इटली के फ़्लोरेन्स नगर में चित्रकला की शिक्षा ली,
वहाँ उन्होंने एक नग्न महिला का चित्रण किया था। इसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया।
वे अब तक अनुभव कर चुकी थीं कि उनके जीवन का वास्तविक ध्येय चित्रकार बनना ही है।
उन्होंने अपने जीवन के 8 वर्ष यूरोप में ही व्यतीत किये । 1921 के युद्ध के बाद वे भारत आ गयी थीं और शिमला में ही आकर रहने लगी थीं ।भारत आकर उन्होंने विधिवत चित्रकला की शुरुआत की । उनके बनाये गये चित्रों में भारतीय नारी की घरेलू छवि अत्यन्त मनोवैज्ञानिक एवं सूक्ष्म भाव-भंगिमा के साथ चित्रित हुई है ।
उनके चित्रों में रोजमर्रा के जीवन का ऐसा सजीव चित्रण है कि ऐसा प्रतीत होता है, मानो उनके चित्र बोलते हों ।
चित्रकला की अपनी निजी शैली में रंगों का ऐसा अद्भुत संयोजन है कि बस देखते ही बनता है । चटकीले रंगों से भरपूर इनकी निजी शैली भारतीय संस्कृति के हर पहलू को अत्यन्त जीवन्त के साथ कैनवास पर उतारती है ।
उनकी तूलिका में भारतीय ग्रामीण जन-जीवन तो अपने समूचे जीवन के साथ प्रतिबिम्बित हो उठता है ।
इसलिए वे पेरिस में आकर दोबारा शिक्षा प्राप्त करने लगीं।
धीरे-धीरे उनके जीवन में हंगरी की चित्रकला का प्रभाव कम होता गया और उनका रुझान वास्तविकता की ओर बढ़ने लगा, जिसका प्रमाण उनके चित्रों में स्पष्ट दिखाई देता है।
‘एक युवक सेब लिय हुए’ और ‘आलू छीलने वाला’ आदि उनके प्रमुख चित्र हैं।
उपलब्धियाँ – अमृता शेरगिल की जीवनी
अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ था, लेकिन उनकी पेंटिंग्स भारतीय संस्कृति और उसकी आत्मा का बेहतरीन नमूना हैं।
उनकी चित्रकारी को धरोहर मानकर दिल्ली की ‘नेशनल गैलेरी में सहेजा गया है।
अमृता जितनी ख़ूबसूरत थीं, उतनी ही उनकी पेंटिंग्स में नफासत भी थी।
उनकी पेंटिंग ‘यंग गर्ल्स’ को पेरिस में ‘एसोसिएशन ऑफ़ द ग्रैंड सैलून’ तक पहुँचने का मौक़ा मिला।
यहाँ पर अमृता की चित्रकारी की प्रदर्शनी लगी थी।
यहाँ तक पहुँचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार रही थीं।
यह गौरव हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार थीं।
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने उन्हे 1976 और 1979 में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में शामिल किया।
अमृता की एक – एक पेंटिग लाखों रुपये में नीलम होती रही है।
उन्हे मुगल व पहाड़ी कला सहित अजंता की कला ने प्रेरित और प्रभावित किया।
मृत्यु
28 वर्ष की आयु में एक रहस्यपूर्ण रोग के कारण अमृता शेरगिल ‘कोमा’ में चली गईं और मध्य रात्रि के समय 5 दिसंबर 1941 को उनकी मृत्यु हो गई।
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