आज इस आर्टिकल में हम आपको सी. नारायण रेड्डी की जीवनी – C. Narayana Reddy Biography Hindi के बारे में बताएगे।
सी. नारायण रेड्डी की जीवनी – C. Narayana Reddy Biography Hindi
(English – C. Narayana Reddy) सी. नारायण रेड्डी ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित तेलुगु भाषा के प्रख्यात कवि थे।
उनकी अब तक 40 से भी अधिक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं, जिसमें
कविता, गीत, संगीत, नाटक, नृत्य-नाट्य, निबंध, यात्रा संस्मरण, साहित्यालोचन तथा ग़ज़लें (मौलिक तथा अनूदित) सम्मिलित हैं।
1962 में सी. नारायन रेड्डी ने फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए गाना लिखना शुरू कर दिया था। पहली फ़िल्म मिली ‘गुलेबकावली कथा’।
इस फ़िल्म के साथ ही वह मशहूर हो गए।
1997 में सी. नारायन रेड्डी को राज्य सभा के लिए नामित किया गया था।
संक्षिप्त विवरण
नाम | सी. नारायण रेड्डी |
पूरा नाम | सिंगिरेड्डी नारायण रेड्डी |
जन्म | 29 जुलाई 1931 |
जन्म स्थान | आंध्र प्रदेश |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | – |
जाति | – |
जन्म – सी. नारायण रेड्डी की जीवनी
सी. नारायण रेड्डी का जन्म 29 जुलाई 1931 को तत्कालीन हैदराबाद राज्य (तेलंगाना राज्य) के दूरदराज़ के गांव हनुमाजीपेट के एक कृषक परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम सिंगिरेड्डी नारायण रेड्डी था।
उन्होने ने सुशीला रेड्डी से विवाह किया, जिससे उनकी चार बेटियां हैं। वे अपनी पत्नी से इतने ज्यादा प्रभावित थे कि उन्होंने अपनी पत्नी के नाम से एक अवॉर्ड की शुरुआत कर दी, जो महिला लेखिकाओं को दिया जाता था।
शिक्षा
उनकी प्रारंभिक शिक्षा उर्दू माध्यम से हुई। उन्होंने ओसमानिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। किशोरावस्था में उन पर लोकगीतों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित हरि-कथा, विथि-भागवत आदि लोकशैलियों की गहरी छाप पड़ी। वे संगीत-प्रेमी और सुमधुर कंठ के स्वामी थे, जिसका यह अपने काव्य पाठों में पूरा लाभ उठाते थे।
रचनाएँ
सी. नारायन रेड्डी के काव्य के रूमानी दौर की सर्वाधिक प्रतिनिधि काव्य रचना 26 वर्ष की आयु में रचित “कपूर वसंतरायलु” (1956) है। इसने उन्हें उग्रणी कवियों में प्रतिष्ठित कर दिया। वर्तमान समाज में बेहद कठिन स्थितियों के बीच चिथड़े-चिथड़े होते मनुष्य की दुर्दशा कवि को यातना देती है। वह ऐसे लोगों से दो-चार होते हैं, जिसके हाथों में सत्ता है चाहे वह धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक, ये लोग उत्तरदायित्व की किसी विवेकशील भावना या मानवीय सरोकार के बिना सत्ता का उपभोग करते हैं। उपर्युक्त धारा में आने वाले उनके प्रमुख संग्रह हैं-
- मुखामुखी (1971)
- मनिषि चिलक (1962)
- उदयं ना हृदयं (1963)
सी. नारायन रेड्डी की 1977 में प्रकाशित रचना ‘भूमिका’ मानवतावादी चरण की सर्वाधिक उल्लेखनीय रचना है। उनका काव्य मूलत: जीवन की पुष्टि का काव्य है और इन्हें उसे, उसके संपूर्ण बहुमुखी गौरव तथा उसके समस्त कोलाहल सहित चित्रित करने में हर्षानुभूमि होती है।
यह रचना अगली रचना “विश्वंभरा (1980)” की भूमिका का काम करती है, यह सी. नारायण रेड्डी की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कृति है, प्रस्तुत काव्य की कहानी आदि काल से लेकर आज तक की गई मानव यात्रा के माध्यम से प्रतीकात्मक भाषा में परत-दर-परत खुलती है। जीवन और सृष्टि का स्वभाव समझने की दिशा में मनुष्य का अन्वेषण इस यात्रा की एक प्रमुख विशेषता है।
कृतियां – सी. नारायण रेड्डी की जीवनी
कविता
स्वप्नभंगम् (1954) | नागार्जुन सागरम् (1955) | कर्पूण वसंतरायलु (1957) |
दिव्वेल मुव्वलु (1959) | विश्वंभरा (1980) | अक्षराल गवाक्षालु (1966) |
भूमिका (1977) | मृत्युवु नुंचि (1979) | रेक्कलु (1982) |
नाटक
- अजंता सुंदरी 1954
प्रदीर्घ गीत
- विश्वगीति (1954)
गद्य
- मा ऊरु माट्लाडिंदि (1980), व्यासवाहिनी (1965)
समीक्षा
- मंदारमकरंदालु (1972)
फिल्मी करियर
सी. नारायन रेड्डी ने फ़िल्मी जगत में भी काफ़ी नाम कमाया। उनके लिखे गानों ने दक्षिण भारत की फ़िल्मों में खूब धूम मचाया।
1962 में सी. नारायन रेड्डी ने फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए गाना लिखना शुरू कर दिया था। पहली फ़िल्म मिली ‘गुलेबकावली कथा’। इस फ़िल्म के साथ ही वह मशहूर हो गए।
उन्होंने फ़िल्मों के लिए 3000 से ज्यादा गाने लिखे।
पुरस्कार – सी. नारायण रेड्डी की जीवनी
- सी. नारायन रेड्डी ‘तेलंगाना सारस्वत परिषद’ के अध्यक्ष थे।
- उन्हें 1988 में ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार‘ मिला था।
- इसके अलावा उन्हें 1977 में ‘पद्म श्री’ से नवाजा गया।
- 1992 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया और इसके बाद उन्हे 1988 में ‘राज-लक्ष्मी अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था।
मृत्यु
C. Narayana Reddy की 86 वर्ष की उम्र में 12 जून 2017 को हैदराबाद में हुई।
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