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गोपी चंद भार्गव की जीवनी – Gopi Chand Bhargava Biography Hindi

गोपी चन्द भार्गव संयुक्त पंजाब के पहले मुख्यमंत्री थे। वे ‘गाँधी स्मारक निधि’ के पहले अध्यक्ष, गाँधीवादी नेता और एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उनका पूरा जीवन एक प्रेरणा स्त्रोत था। गोपी चन्द भार्गव के जीवन का मूल उद्देश्य समाज की सेवा था और वे आजीवन इसी कार्य में लगे रहे। उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ देश की आज़ादी की लड़ाई भी लड़ी। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको गोपी चंद भार्गव की जीवनी – Gopi Chand Bhargava Biography Hindi के बारे में बताएगे।

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गोपी चंद भार्गव की जीवनी – Gopi Chand Bhargava Biography Hindi

गोपी चंद भार्गव की जीवनी

जन्म

गोपी चन्द भार्गव का जन्म 8 मार्च, 1889 को तत्कालीन पंजाब के हिसार ज़िले में हुआ था।

शिक्षा

गोपी चन्द भार्गव ने लाहौर मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 1913 से चिकित्सा कार्य शुरू किया था

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करियर

  •  1919 में जलियाँवाला बाग़ हत्याकाण्ड की घटना के कारण वे राजनीति में आ गए।
  • लाला लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय आदि के विचारों से गोपी चन्द भार्गव बहुत ज्यादा प्रभावित थे।  उन्हे सबसे अधिक महात्मा गाँधी ने प्रभावित किया था।
  • डॉ. गोपी चन्द भार्गव ने हर एक आंदोलन में भाग लिया और 1921, 1923, 1930, 1940 और 1942 में जेल की सज़ाएँ भी काटनी पड़ी ।
  • अपनी निष्ठा और देशभक्ति के कारण गोपी चन्द भार्गव  का बड़ा सम्मान था। वे उदार दृष्टिकोण के व्यक्ति थे। जातिवाद पर उनका विश्वास नहीं था। महिलाओं की समानता के वे पक्षपाती थे।
  • कांग्रेस संगठन में वे कई पदों पर रहे। 1946 में गोपी चन्द भार्गव पंजाब विधान सभा के सदस्य चुने गए।
  • भारत की आज़ादी और फिर विभाजन के बाद सरदार पटेल के अनुरोध पर उन्होंने सयुंक्त पंजाब के प्रथम मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर जनता की सेवा का प्रण लेते हुए निभाया।
  • गोपी चन्द भार्गव पहली बार 15 अगस्त, 1947 से 13 अप्रैल, 1949 तक संयुक्त पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद फिर वे दूसरी बार 18 अक्टूबर, 1949 से 20 जून, 1951 तक और इसके बाद तीसरी बार 21 जून, 1964 से 6 जुलाई, 1964 तक मुख्यमंत्री रहे।
  • गोपी चन्द भार्गव ‘गाँधी स्मारक निधि’ के पहले अध्यक्ष भी रहे थे।
  • उन्होंने गाँधी जी की रचनात्मक प्रवृत्तियों को आगे बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए। विभाजन से उत्पन्न उत्तेजना और कटुता के बीच प्रशासन को उचित दिशा की ओर ले जाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

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मृत्यु

26 दिसम्बर, 1966 को डॉ. गोपी चन्द भार्गव की मृत्यु हो गई।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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