आज इस आर्टिकल में हम आपको जीवनानन्द दास की जीवनी – Jivanananda Das Biography Hindi के बारे में बताएगे।
जीवनानन्द दास की जीवनी – Jivanananda Das Biography Hindi
जीवनानन्द दास बांग्ला भाषा के जाने – माने कवि और लेखक थे।
उनकी कविता ने रवींद्रनाथ के बाद बांग्ला समाज की कई पीढ़ियों को चमत्कृत किया।
उनकी कविता ‘बनलता सेन’ तो मानो अनिवार्य रूप से कंठस्थ की जाती रही है।
1955 में जीवनानन्द दास के मरणोपरांत श्रेष्ठ कविता के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
जन्म – जीवनानन्द दास की जीवनी
जीवनानन्द दास जी का जन्म 17 फ़रवरी, सन 1899 को ब्रिटिशकालीन बंगाल के बारीसाल में हुआ था।
वे एक ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखते थे।
उनके पिता का नाम सत्यानंद दास तथा उनकी माता का नाम कुसुमकुमारी दास था।
वे तीन भाई बहन थे। उनका नाम अशोकानंद दास (भाई) तथा शुचोरिता दास (बहन) था।
उनकी पत्नी का नाम लबनीप्रभा दास था। उनके दो बच्चे थे।
कवि तथा गद्यकार
जीवनानन्द दास की कविता ने रवींद्र नाथ टैगोर के बाद बांग्लाभाषी समाज की कई पीढ़ियों को चमत्कृत किया और उनकी कविता ‘बनलता सेन’ तो मानों अनिवार्य रूप से कंठस्थ की जाती रही है। आधुनिक बांग्ला कविता को जीवनानन्द दास का योगदान अप्रतिम है। प्रकृति से उनके गहरे तादात्म्य ने बांग्ला कविता को कई अनूठे बिंब दिये।
जीवनानन्द दास समर्थ गद्यकार भी थे। उनकी मृत्यु के बाद उनके लिखे कई उपन्यास प्रकाश में आये। कहानियाँ भी उन्होंने लिखी थीं। जब 1955 में साहित्य अकादमी ने स्वीकृत भारतीय भाषाओं में से प्रत्येक की सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक कृति पर पुरस्कारों की स्थापना की तो बांग्ला में पुरस्कार के लिए चुनी जाने वाली पुस्तक जीवनानन्द दास की श्रेष्ठ कविता ही थी।
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद में प्रस्तुत इस विनिबंध का यह तीसरा संस्करण है, और इसमें दी गई कविताएँ अंग्रेज़ी अनुवादों से न होकर मूल बांग्ला से ही प्रयाग शुक्ल द्वारा अनुदित की गई हैं। इसका तीसरा संशोधित-परिवर्द्धित संस्करण इस बात का भी प्रमाण है कि इसे हिन्दी-जगत में पसंद किया गया है।
रचनाएँ
काव्य ग्रन्थ
झरा पालोक – 1927 | धूसर पाण्दुलिपि – 1936 | वनलता सेन – 1942 |
महापृथिबी – 1944 | सातटि तारार तिमिर – 1948 | रूपसी बांगल – 1957 |
श्रेष्ठो कविता – 1958 | बेला अबेला कालबेला – 1961 | सुदर्शना – 1973 |
मानव बिहंगम – 1979 | आलो पृथिबी – 1981 | अप्रकाशितो एकान्नो – 1999 |
उपन्यास
माल्यवान | पूर्णीमा | कल्याणी |
चारजोन | बिभाव | मृणाल |
निरूपमयात्रा | कारुवासना | जीवनप्रणाली |
विराज | प्रेतिनीर | सुतीर्थो |
बासमोतीर उपाख्यान |
पुरस्कार – जीवनानन्द दास की जीवनी
1955 में जीवनानन्द दास के मरणोपरांत श्रेष्ठ कविता के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
मृत्यु
जीवनानन्द दास जी की 22 अक्टूबर, 1954 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में उनकी मृत्यु हुई।
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