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नैन सिंह रावत की जीवनी – Nain Singh Rawat Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको नैन सिंह रावत की जीवनी – Nain Singh Rawat Biography Hindi के बारे में बताएगे।

नैन सिंह रावत की जीवनी – Nain Singh Rawat Biography Hindi

नैन सिंह रावत की जीवनी - Nain Singh Rawat Biography Hindi

नैन सिंह रावत हिमालयी इलाकों की खोज करने वाले प्रथम भारतीय थे।

उन्होने अंग्रेजों के लिये हिमालय के क्षेत्रों की खोजबीन की।

हिन्दी और तिब्बती के अलावा उन्हें फारसी और अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान था।

तिब्बत का सर्वेक्षण करने वाले नैन सिंह रावत पहले व्यक्ति थे।

ब्रिटेन के लिए हिमालय के क्षेत्रों का अन्वेषण करने वाले वह शुरुआती भारतीयों में से एक थे।

ब्रितानी सरकार ने 1977 में बरेली के पास तीन गावों की जागीरदारी उन्हें पुरस्कार स्वरूप प्रदान की। इसके अलावा उनके कामों को देखते हुए ‘कम्पेनियन आफ द इंडियन एम्पायर’ का खिताब दिया गया।

जन्म

नैन सिंह रावत का जन्म 21 अक्टूबर 1830 को उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील स्थित मिलम गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम अमर सिंह था जिनको लोग ‘लाटा बुढा’ के नाम से जानते थे।

शिक्षा

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हासिल की लेकिन आर्थिक तंगी के कारण जल्द ही पिता के साथ भारत और तिब्बत के बीच चलने वाले पारंपरिक व्यापार से जुड़ गये।

इससे उन्हें अपने पिता के साथ तिब्बत के कई स्थानों पर जाने और उन्हें समझने का मौका मिला।

उन्होंने तिब्बती भाषा सीखी जिससे आगे उन्हें काफी मदद मिली।

हिन्दी और तिब्बती के अलावा उन्हें फारसी और अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान था।

इस महान अन्वेषक, सर्वेक्षक और मानचित्रकार ने अपनी यात्राओं की डायरियां भी तैयार की थी।

उन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकतर समय खोज और मानचित्र तैयार करने में बिताया।

योगदान – नैन सिंह रावत की जीवनी

19वीं शताब्दी में अंग्रेज़ भारत का नक्शा तैयार कर रहे थे और लगभग पूरे भारत का नक्शा बना चुके थे।

अब वह आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उनके आगे बढ़ने में सबसे बड़ा रोड़ा था तिब्बत।

यह क्षेत्र दुनिया से छुपा हुआ था। न सिर्फ़ वहां की जानकारियां बेहद कम थीं बल्कि विदेशियों का वहां जाना भी सख़्त मना था। ऐसे में अंग्रेज़ कशमकश में थे कि वहां का नक्शा तैयार होगा कैसे? हालांकि ब्रितानी सरकार ने कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार नाकामी ही हाथ लगी। पंडित नैन सिंह रावत पर किताब लिख चुके और उन पर शोध कर रहे रिटार्यड आईएएस अधिकारी एसएस पांगती के अनुसार- “अंग्रेज़ अफसर तिब्बत को जान पाने में नाकाम हो गए थे।” कई बार विफल होने के बाद उस समय के सर्वेक्षक जनरल माउंटगुमरी ने ये फैसला लिया कि अंग्रेज़ों के बजाए उन भारतीयों को वहां भेजा जाए जो तिब्बत के साथ व्यापार करने वहां अक्सर आते जाते हैं। और फिर खोज शुरू हुई ऐसे लोगों की जो वहां की भौगोलिक जानकारी एकत्र कर पायें, और आखिरकार 1863 में कैप्टन माउंटगुमरी को दो ऐसे लोग मिल ही गए।

33 साल के पंडित नैन सिंह रावत और उनके चचेरे भाई माणी सिंह।

चार बड़ी यात्राएँ

नैन सिंह पर ‘सागा ऑफ नेटिव एक्सप्लोरर’ नामक किताब लिख चुके पांगती के अनुसार- “यह कितना मुश्किल था।

अन्वेषक होने के कारण नैन सिंह रावत ने चार बड़ी यात्राएँ कीं।

सबसे पहले नैन सिंह रावत साल 1865 में काठमांडू के रास्ते ल्हासा गए और कैलाश मानसरोवर के रास्ते वापस 1866 में वापस भारत आए।

1867-1868 में वह उत्तराखण्ड में चमोली ज़िले के माणा पास से होते हुए तिब्बत के थोक जालूंग गए, जहां सोने की खदानें थीं।

उनकी तीसरी बड़ी यात्रा थी शिमला से लेह और यारकंद जो उन्होंने साल 1873-1874 में की।

उनकी आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण यात्रा वर्ष 1874-1875 में की।

वह लद्दाख से ल्हासा गये और फिर वहाँ से असम पहुँचे।

इस यात्रा में वह ऐसे इलाकों से गुजरे, जहाँ दुनिया का कोई आदमी अभी तक नहीं पहुँचा था।

पुस्तक

नैन सिंह रावत को एक एक्सप्लोरर के रूप में ही याद नहीं किया जाता, बल्कि हिंदी में आधुनिक विज्ञान में “अक्षांश दर्पण” नाम की एक किताब लिखने वाले वह पहले भारतीय थे।

यह पुस्तक सर्वेयरों की आने वाली पीढ़ियों के लिये भी एक ग्रंथ के समान है।

पुरस्कार

ब्रिटिश राज में नैन सिंह रावत के कामों को काफी सराहा गया।

ब्रितानी सरकार ने 1977 में बरेली के पास तीन गावों की जागीरदारी उन्हें पुरस्कार स्वरूप प्रदान की।

इसके अलावा उनके कामों को देखते हुए ‘कम्पेनियन आफ द इंडियन एम्पायर’ का खिताब दिया गया।

इसके अलावा भी अनेक संस्थाओं ने उनके काम को सराहा। एशिया का मानचित्र तैयार करने में उनका योगदान सर्वोपरि है। भारतीय डाक विभाग ने उनकी उपलब्धि के 139 साल बाद 27 जून 2004 को उन पर डाक टिकट निकाला था।

मृत्यु – नैन सिंह रावत की जीवनी

नैन सिंह रावत की 1 फरवरी 1882 में दिल का दौरा पड़ने के कारण मृत्यु हो गई ।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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