रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचार – Ravindranath Tagore Anmol Vachan

आज इस आर्टिकल में हम आपको रवीन्द्रनाथ टैगोर के के विचार – Ravindranath Tagore Anmol Vachan के बारे में बताएगे।

रवीन्द्रनाथ टैगोर के के विचार – Ravindranath Tagore Anmol Vachan

रवीन्द्रनाथ टैगोर के के विचार - Ravindranath Tagore Anmol Vachan

रवीन्द्र नाथ टैगोर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे।

नोबल पुरस्कार से सम्मानित रवीन्द्र नाथ टैगोर के विकार भी उनकी ही तरह अनमोल है।

गाँधी और अमबेडकर के मध्य ‘अछूतों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल’ मुद्दे पर हुए मतभेद को सुलझाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

जन्म

उनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ।

शिक्षा

रबीन्द्रनाथ टैगोर की स्कूल की पढ़ाई प्रतिष्ठित सेंट ज़ेवियर स्कूल में हुई।

उन्हे गीतांजली के लिए नोबल पुसकर से सम्मानित किया गया।

1919 के जलियांवाला बाग़ नरसिंहार के बाद उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गयी नाइटहुड का त्याग कर दिया।

अनमोल विचार

  • हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं,एक भूत बन कर आपकी नीद में बाधा डालेगी.
  • हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है.
  • जो कुछ हमारा है वो हम तक आता है ; यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं.
  • तथ्य कई हैं पर सत्य एक है.
  • मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है।
  • किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है.
  • मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती .
  • मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है.
  • पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते.
  • कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं.
  • आयु सोचती है, जवानी करती है.
  • सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है.
  • आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है.
  • जिनके स्वामित्व बहुत होता है उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है.
  • तितली महीने नहीं क्षण गिनती है, और उसके पास पर्याप्त समय होता है.
  • अकेले फूल को कई काँटों से इर्ष्या करने की ज़रुरत नहीं होती.
  • उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है.
  • बर्तन में रखा पानी चमकता है; समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता है, महान सत्य मौन रहता है.

अनमोल विचार – रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचार

  • जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है.
  • हम तब स्वतंत्र होते हैं जब हम पूरी कीमत चुका देते हैं.
  • कला क्या है ? यह इंसान की रचनात्मक आत्मा की यथार्थ के पुकार के प्रति प्रतिक्रिया है.
  • संगीत दो आत्माओं के बीच के अनंत को भरता है.
  • केवल प्रेम ही वास्तविकता है , ये महज एक भावना नहीं है.यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता है।
  • जीवन हमें दिया गया है, हम इसे देकर कमाते हैं.
  • हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम उसे प्रेम करते हैं.
  • प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है.
  • यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा.
  • कला में व्यक्ति खुद को उजागर करता है कलाकृति को नहीं.
  • हम ये प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे न आयें, बल्कि ये करें कि हम उनका सामना करने में निडर रहे.
  • मैं एक आशावादी होने का अपना ही संसकरण बन गया हूँ. यदि मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाता तो दुसरे से जाऊंगा- या एक नया दरवाजा बनाऊंगा. वर्तमान चाहे जितना भी अंधकारमय हो कुछ शानदार सामने आएगा.
  • आपकी मूर्ती का टूट कर धूल में मिल जाना इस बात को साबित करता है कि इश्वर की धूल आपकी मूर्ती से महान है.
  • मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है.
  • सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते.
  • वो जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त है ,स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता.
  • मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं, भगवान् उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं.

निधन – रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचार

लम्बी बीमारी के बाद 7 अगस्त 1941 को कलकता में उनका देहांत हो गया।

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