आज इस आर्टिकल में हम आपको उत्पल दत्त की जीवनी – Utpal Dutt Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
उत्पल दत्त की जीवनी – Utpal Dutt Biography Hindi
उत्पल दत्त भारतीय हिंदी सिनेमा के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे।
उन्होंने हिंदी और बांग्ला फिल्मों में अपनी अमिट छाप छोड़ी थी।
उत्पल दत्त एक उच्च दर्जे के अभिनेता ही नहीं, एक कुशल निर्देशक और नाटककार भी थे।
सीरियल से लेकर कॉमेडी तक के हर रोल को उन्होंने बड़ी संजीदगी से निभाया था।
1979 में आई फिल्म ‘गोलमाल’ में ‘भवानी शंकर’ के कॉमेडी आज भी लोगों को हंसा देती है।
धातु उत्पल दत्त 1940 में अंग्रेजी थिएटर से जुड़े और अपने अभिनय की शुरुआत की।
1950 में आई फिल्म ‘माइकल मधुसूदन’ में उन्होने लीड रोल निभाया, जिसे लोगों ने काफी सराहा।
उन्होने गुड्डी, नरम – गरम, रंग बिरंगी और शौकीन जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया।
जन्म
उत्पल दत्त का जन्म 29 मार्च, 1929 को बारीसाल , पूर्वी बंगाल (ब्रिटिश भारत) के एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गिरिजारंजन दत्त था, वर्ष 1960 में उत्पल दत्त ने थिएटर और फ़िल्म एक्ट्रेस शोभा सेन से विवाह किया। उत्पल दत्त और शोभा सेन की बेटी का नाम डॉक्टर बिष्णुप्रिया है। वे उनकी इकलौती संतान हैं।
शिक्षा – उत्पल दत्त की जीवनी
उत्पल दत्त के पिता ने पढ़ाई के लिए कोलकाता उन्हे भेजा दिया । उत्पल जी ने 1945 में मेट्रिक की परीक्षा पूरी की और फिर 1949 में ‘सेंट जेवियर कॉलेज’, कोलकाता से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
करियर
1940 में उत्पल दत्त अंग्रेज़ी थिएटर से जुड़े और अभिनय की शुरूआत कर डाली। शेक्सपियर साहित्य से उत्पल जी का बेहद लगाव था। इस दौरान उन्होंने थिएटर कंपनी के साथ भारत और पाकिस्तान में कई नाटक मंचित किए।
नाटक ‘ओथेलो’ से उन्हें काफ़ी वाहवाही मिली थी। इसके बाद में उत्पल जी का रुझान अंग्रेज़ी से बंगाली नाटक की ओर बढ़ गया। 1950 के बाद उन्होंने एक प्रोडक्शन कंपनी जॉइन कर ली और इस तरह उनका बंगाली फ़िल्मों से करियर शुरू हो गया।
बंगाली फ़िल्मों के साथ उनका थिएटर से प्रेम भी जारी रहा। इस दौरान उन्होंने कई नाटकों को निर्देशन ही नहीं बल्कि लेखन कार्य भी किया। बंगाली राजनीति पर लिखे उनके नाटकों ने कई बार विवाद को भी जन्म दिया।
एक हास्य कलाकार के रूप में
1950 में मशहूर फ़िल्मकार मधु बोस ने उन्हें अपनी फ़िल्म ‘माइकल मधुसुधन’ में लीड रोल दिया, जिसे काफ़ी सराहा गया। इसके बाद उत्पल दत्त ने सत्यजीत रे की फ़िल्मों में भी काम किया।
हिन्दी सिनेमा में उत्पल दत्त एक महान् हास्य अभिनेता के रूप में जाने जाते थे। हालांकि उन्होंने बहुत कम फ़िल्मों में काम किया। ‘गुड्डी’, ‘गोलमाल’, ‘नरम-गरम’, ‘रंग बिरंगी’ और ‘शौकीन’।
उत्पल दत्त हिन्दी सिनेमा में अत्यंत व्यस्त काफ़ी देर में हुए थे, वैसे बंगाली रंगमंच तथा सिनेमा में उनका बहुत नाम था। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों की अपनी लंबी सूची में बहुधा हास्य प्रधान भूमिकाएँ की थीं।
मगर अमिताभ बच्चन की प्रथम फ़िल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ में वे भी एक हिन्दुस्तानी थे। बल्कि एक तरह से देखा जाय तो उत्पल जी ही मुख्य भूमिका में थे और अमिताभ बच्चन समेत अन्य सभी कलाकार सहायक भूमिकाएँ निभा रहे थे।
उसी तरह से सत्तर के दशक में भारतीय समांतर सिनेमा की नींव जिन फ़िल्मों से रखी गई थी, उन प्रमुख कृतियों में ‘भुवन शोम’ भी थी और उसके नायक भी उत्पल दत्त थे।
इस फ़िल्म के अभिनय के लिए उत्पल जी को वर्ष 1970 में श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। मगर हिन्दी सिनेमा में उनको भरपूर प्रतिष्ठा और काम ऋषिकेश मुखर्जी की ‘गोलमाल’ से मिली, जो न आर्ट फ़िल्म बनाते थे और न ही कमर्शियल फ़ार्मुला फ़िल्म।
फ़िल्म ‘गोलमाल’
फ़िल्म ‘गोलमाल’ में ऋषिकेश मुखर्जी ने उत्पल दत्त की गंभीर छवि के विपरित ‘भवानी शंकर’ के एक ऐसे पात्र की भूमिका दी, जिन्हें मूछों से अधिक लगाव था।
हीरो अमोल पालेकर से लेकर दीना पाठक तक के सभी अदाकारों का हास्य अभिनय आज भी एक मिसाल है। लेकिन उत्पल जी गंभीर रहकर भी इतना हंसा गए थे कि उस साल ‘बेस्ट कमेडियन’ का फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड उन्हें मिला था।
फ़िल्म ‘गोलमाल’ में उत्पल जी जिस अंदाज़ से ‘अच्छाआ….’ बोलते थे, वो उनका ट्रेड मार्क बन गया था। आज भी मिमिक्री आर्टिस्ट उस तकिया कलाम को बोलते हैं, तो दर्शक समझ जाते हैं कि वह उत्पल दत्त की नकल कर रहे हैं।
हिन्दी फ़िल्मों में फिर तो उनको हलकी-फुलकी भूमिकाएँ मिलतीं गईं। तब ये कौन सोच सकता था कि बंगाली और हिन्दी मनोरंजन जगत् के इस दिग्गज अभिनेता ने अपना करियर अंग्रेज़ी रंगमंच से प्रारम्भ किया था।
प्रमुख फ़िल्में – उत्पल दत्त की जीवनी
1984 – लाखों की बात | 1983 – रंग बिरंगी |
1982 – अंगूर | 1979 – गोलमाल |
1979 – कर्तव्य | 1978 – जॉय बाबा फेलुनाथ |
1977 – ईमान धर्म | 1956 – शुभलग्न |
1954 – विक्रम उर्वशी | 1950 – माइकल मधुसूदन |
1950 – विद्यासागर |
प्रसिद्ध नाटक
Mirkassim | टेिनर तलोवर |
फेरारी फौज | बोनिकर राजदंदो |
आड़ | Chayanat |
कांगोर करगारे | Kallol |
अजकर शाहजहाँ | लोहार भीम |
महशर अधीररे | इबर राजार पाला |
दानराव पथिकबार |
पुरस्कार
- फ़िल्म ‘गोलमाल’ के लिए उत्पल दत्त को ‘फ़िल्म फ़ेयर बेस्ट कॉमेडियन अवार्ड’ से नवाजा गया था।
- बंगाली सिनेमा में फ़िल्म ‘भुवन शोमे’ के लिए उन्हें ‘बेस्ट एक्टर’ के तौर पर ‘नेशनल फ़िल्म अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
- उत्पल जी के हास्य अभिनय को ऋषिकेश मुखर्जी से ज्यादा शायद ही किसी अन्य निर्देशक ने काम में लिया होगा। ‘गोलमाल’ की तरह ‘नरम गरम’ में भी उनकी जोड़ी अमोल पालेकर के साथ थी और उस में भी उन्हें ‘श्रेष्ठ हास्य अभिनेता’ का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
- ऋषिकेश मुखर्जी की ही ‘रंगबिरंगी’ ने भी उत्पल दत्त को ‘श्रेष्ठ हास्य अभिनेता’ अवार्ड फिर एक बार दिलवाया। किसी एक ही निर्देशक के निर्देशन में किसी एक विभाग में तीन ट्रॉफियाँ जीतने का यह कारनामा विरले ही दिखाई देता है।
उत्पल दत्त को मिले पुरस्कार
- 1990 – संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप के लिए जीवन भर योगदान रंगमंच सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – जीता
1970 -भुवन शोम – भुवन शोम
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार – जीता
1980 गोलमाल – भवानी शंकर
1982 नरम गरम – भवानी शंकर
1987 रंग बिरंगी – पुलिस इंस्पेक्टर धुरंधर भटवाडेकर
- बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड: सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार – जीता
1993 अगांतुक – मनमोहन मित्रा
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार – नामांकित
1975 अमानुष – माहिम घोषाल
1980 गोलमाल – भवानी शंकर
1986 साहब – बद्री प्रसाद शर्मा
मृत्यु – उत्पल दत्त की जीवनी
19 अगस्त 1993 को दत्त का दिल का दौरा पड़ने के तुरंत बाद ही उनकी मृत्यु हो गई ।
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