प्रतीक हाजेला की जीवनी – Prateek Hajela Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रतीक हाजेला की जीवनी – Prateek Hajela Biography Hindi के बारे में बताएगे।

प्रतीक हाजेला की जीवनी – Prateek Hajela Biography Hindi

प्रतीक हाजेला की जीवनी - Prateek Hajela Biography Hindi

प्रतीक हजेला 1995 बैच के एक IAS अफसर हैं।

वे असम-मेघालय कैडर के अधिकारी हैं।

असम जैसे सीमाई राज्य में उनकी तैनाती मुख्य रूप से गृह मंत्रालय में ही रही है।

उन्होंने गृह आयुक्त के रूप में काम किया।

उन्होंने स्पेशल कमिश्नर नियुक्त कर इमरजेंसी ऑपरेशन की ड्यूटी पर तैनात किया गया।

बेहद पारदर्शी ढंग से 5000 सिपाहियों की भर्ती के लिए उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा सम्मान भी मिला।

UPA-2 के दौरान 5 सितंबर, 2013 को उन्हें एनआरसी अपडेटिंग का प्रभार दिया गया था।

जन्म

प्रतीक हजेला मूल रूप से मध्यप्रदेश के भोपाल के रहने वाले हैं।

हजेला का परिवार भोपाल का एक प्रतिष्ठित परिवार है।

उनके पिता का नाम एसपी हजेला था और वे मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के अफसर थे और उनके छोटे भाई का नाम अनूप हजेला है वे भोपाल के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं। हजेला के चाचा पीडी हजेला चर्चित अर्थशास्त्री थे और वे प्रतिष्ठित इलाहाबाद और सागर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भी रहे। उनकी बेटी का नाम आरजू है।

शिक्षा – प्रतीक हाजेला की जीवनी

प्रतीक हजेला ने आइआइटी दिल्ली से 1992 में इलेक्ट्रानिक्स में बी-टेक की परीक्षा पास की है।

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करियर

असम-मेघालय कैडर के 1995 बैच के आइएएस हजेला जुलाई 1996 में पहली बार असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर असम के सिलचर में आए थे। सिलचर असम के बंगाली बहुल काछार जिले का मुख्यालय था।

प्रतीक हजेला 1995 बैच के एक IAS अफसर हैं। हजेला असम-मेघालय कैडर के अधिकारी हैं असम जैसे सीमाई राज्य में उनकी तैनाती मुख्य रूप से गृह मंत्रालय में ही रही है। उन्होंने गृह आयुक्त के रूप में काम किया। उन्होंने स्पेशल कमिश्नर नियुक्त कर इमरजेंसी ऑपरेशन की ड्यूटी पर तैनात किया गया। बेहद पारदर्शी ढंग से 5000 सिपाहियों की भर्ती के लिए उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा सम्मान भी मिला। UPA-2 के दौरान 5 सितंबर, 2013 को उन्हें एनआरसी अपडेटिंग का प्रभार दिया गया था।

असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन (NRC) 1951 को अपडेट करने जैसे मुश्किल काम को अंजाम देने का श्रेय राज्य के प्रिंसिपल सेक्रेट्री (होम) प्रतीक हालेजा को दिया जा रहा है। प्रतीक इस बेहद मुश्किल काम के लिए स्टेट कॉर्डिनेटर की भूमिका में हैं और इसका पहला ड्राफ्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी किया गया था जिसमें 3. 29 करोड़ लोगों में केवल 1. 9 करोड़ को भारत का वैध नागरिक माना गया था।

30 जुलाई 2018 को जारी दूसरे और आखिरी ड्राफ्ट में 3. 29 करोड़ आवेदकों में 2. 90 करोड़ को वैध नागरिक पाया गया। इसका मतलब हुआ कि इस फाइनल ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 31 जुलाई 2018 को कहा कि जिन 40 लाख से अधिक लोगों के नाम शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ प्राधिकार कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकते हैं क्योंकि अभी यह महज एक मसौदा भर है।

NRC अपडेशन

NRC अपडेशन के आधार मुख्य तौर पर तीन डी हैं –

  • डिटेक्शन (पता लगाना)
  • डिलीशन (नाम हटाना)
  • डिपोर्टेशन (वापस भेजना)

आरोप – प्रतीक हाजेला की जीवनी

प्रतीक की इस काम के लिए जितनी तारीफ की गई उतनी ही आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि NRC के जरिए बंगालियों और असमियों के बीच भेदभाव पैदा किया जा रहा है। गौरतलब है कि बीजेपी ने 2014 में इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया। चुनावी प्रचार में बांग्लादेशियों को वापस भेजने की बातें कही गई थीं। 2016 में असम में बीजेपी की पहली सरकार बनी और अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को वापस भेजने की प्रक्रिया फिर तेज हो गई। राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो बीजेपी के लिए अवैध बांग्लादेशियों का मुद्दा सबसे बड़ा रहा। प्रतीक पर आरोप लगा कि वो केंद्र सरकार के चुनावी वादों के मद्देनज़र एजेंट कि तरह काम कर रहे हैं।

1 मई को प्रतीक के नेतृत्व में काम कर रही NRC टीम ने नोटिस जारी कर कोर्ट एफिडेविट, गांव के मुखिया का प्रमाणपत्र और देर से बनवाए गए जन्म प्रमाण पत्रों को रजिस्ट्रेशन के लिए गैरकानूनी घोषित कर दिया। कई मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए केवल बंगाली बोलने वाले मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि बंगाली भाषी हिंदुओं की एक बड़ी संख्या पर भी पर गाज गिरी है। लेकिन केंद्र में मौजूदा सत्तारूढ़ बीजेपी ने पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की भारतीय नागरिकता को सुविधाजनक बनाने का एक बिल पेश करने का प्रस्ताव देकर जटिलता को और बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि असम में रहने वाले बंगाली बोलने वाले हिंदू अवैध आप्रवासी अपनी नागरिकता बचा सकेंगे।

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