Biography Hindi

साधना शिवदासानी की जीवनी – Sadhana Shivdasani Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको साधना शिवदासानी की जीवनी – Sadhana Shivdasani Biography Hindi के बारे में बताएगे।

साधना शिवदासानी की जीवनी – Sadhana Shivdasani Biography Hindi

साधना शिवदासानी की जीवनी - Sadhana Shivdasani Biography Hindi

साधना एक मशहुर अभिनेत्री थी।

उन्होने बतौर कलाकार उन्होने 1955 में आई फिल्म श्री 420 से अपने करियर
की शुरुआत की।

साधना कट के नाम से उनका हेयर कट काफी मशहूर हुआ।

1960 में आई फिल्म लव इन शिमला ने उन्हे बुलंदियों तक पहुंचा दिया।

उन्हे हिन्दी सिनेमा के इतिहास में सबसे बेहतरीन और प्रतिष्ठित फिल्म अभिनेत्रियों में गिना जाता है।

वे अपने समय में सबसे अधिक कमाई करने वाली अभिनेत्री  थी।

उन्होने मेरा साया, राजकुमार, मेरे महबूब, वो कौन थी जैसी कई सुपर हिट फिल्में दी।

हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए, अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी (आईफा) द्वारा 2002 में लाइफटाइम
अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।

जन्म

साधना शिवदासानी  का जन्म 2 सितंबर 1941 को कराची , पाकिस्तान में हुआ था।

उनके के पिता का नाम शेवाराम और माता का नाम लालीदेवी था।

माता-पिता की एकमात्र संतान होने के कारण साधना का बचपन बड़े प्यार के साथ व्यतीत हुआ था।

1947 में भारत के बंटवारे के बाद उनका परिवार कराची छोड़कर मुंबई आ गया था।

उस समय साधना की आयु केवल छ: साल थी।

साधना का नाम उनके पिता ने अपने समय की पसंदीदा अभिनेत्री ‘साधना बोस’ के नाम पर रखा था।

साधना ने 6 मार्च, 1966 को निर्देशक आर.के. नैयर के साथ शादी कर ली तथा 1995 में उनके पति का देहांत हो गया।

करियर

साधना बतौर कलाकार उन्होने 1955 में आई फिल्म श्री 420 से अपने करियर की शुरुआत की।

उस वक़्त वो 15 साल की थीं, दरअसल साधना को वह एक विज्ञापन कपनी ने अपने उत्पादकों के लिए मौक़ा दिया था।

इन्हें भारत की पहली सिंधी फ़िल्म ‘अबाणा’ (1958) में काम करने का मौक़ा मिला जिसमें उन्होंने अभिनेत्री शीला रमानी की छोटी बहन की भूमिका निभाई थी और इस फ़िल्म के लिए इन्हें 1 रुपए की टोकन राशि का भुगतान किया गया था।

इस सिंधी ख़ूबसूरत बाला को सशधर मुखर्जी ने देखा, जो उस वक़्त बहुत बड़े फ़िल्मकार थे।

सशधर मुखर्जी को अपने बेटे जॉय मुखर्जी के लिए एक हिरोइन के लिए नये चेहरे की तलाश कर रहे थे।

‘साधना कट’ हेयर स्टाइल

साल 1960 में “लव इन शिमला” रिलीज़ हुई, इस फ़िल्म के निर्देशक थे आर.के. नैयर, और उन्होंने ही साधना को नया लुक दिया “साधना कट”। दरअसल साधना का माथा बहुत चौड़ा था उसे कवर किया गया बालों से, उस स्टाईल का नाम ही पड़ गया “साधना कट” । 1961 में एक और “हिट” फ़िल्म हम दोनों में देव आनंद के साथ इस ब्लैक एंड वाईट फ़िल्म को रंगीन किया गया था और 2011 में फिर से रिलीज़ किया गया था।

1962 में वह फिर से निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा असली-नकली में देव आनंद के साथ थीं।

रंगीन फ़िल्मों का दौर – साधना शिवदासानी की जीवनी

1963 से 1964 तक

1963 में, टेक्नीकलर फ़िल्म ‘मेरे मेहबूब’ एच. एस. रवैल द्वारा निर्देशित उनके फ़िल्मी कैरियर ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी। यह फ़िल्म 1963 की भी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी और 1960 के दशक के शीर्ष 5 फ़िल्मों में स्थान पर रहीं। मेरे मेहबूब में निम्मी पहले साधना वाला रोल करने जा रही थी न जाने क्या सोच कर निम्मी ने साधना वाला रोल ठुकरा कर राजेंद्र कुमार की बहन वाला का रोल किया। साधना के बुर्के वाला सीन इंडियन क्लासिक में दर्ज है। साल 1964 में उनके डबल रोल की फ़िल्म रिलीज़ हुई जिसमें मनोज कुमार हीरो थे और फ़िल्म का नाम था “वो कौन थी”। सफेद साड़ी पहने महिला भूतनी का यह किरदार हिन्दुस्तानी सिनेमा में अमर हो गया। इस फ़िल्म से हिन्दुस्तानी सिनेमा को नया विलेन भी मिला जिसका नाम था ‘प्रेम चोपड़ा’। साधना को लाज़वाब एक्टिंग के लिए प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में पहला फ़िल्मफेयर नामांकन भी मिला था।

क्लासिक्स फ़िल्म वो कौन थी, मदन मोहन के लाज़वाब संगीत और लता मंगेशकर की लाज़वाब गायकी के लिए भी याद की जाती है। “नैना बरसे रिमझिम” का आज भी कोई जवाब नहीं है। इस फ़िल्म के लिए साधना को मोना लिसा की तरह मुस्कान के साथ ‘शो डाट’ कहा गया था। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर “हिट” थी। साल 1964 में साधना का नाम एक हिट से जुड़ा यह फ़िल्म थी राजकुमार, हीरो थे शम्मी कपूर। राजकुमार की साल 1964 की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी।

1965 से 1967 तक

साल 1965 की मल्टी स्टार कास्ट की फ़िल्म ‘वक़्त’ रिलीज़ हुई जो इस साल की ब्लॉकबस्टर भी थी जिसमें राज कुमार सुनील दत्त, शशि कपूर, बलराज साहनी, अचला सचदेव और शर्मिला टैगोर जैसे सितारे थे। ‘वक़्त’ में साधना ने तंग चूड़ीदार- कुर्ता पहना जो इस पहले किसी भी हेरोइन ने नहीं पहना था। साल 1965 साधना के लिए एक और कामयाबी लाया था इसी साल रिलीज़ हुई रामानन्द सागर की “आरजू” जिसमें शंकर जयकिशन का लाजवाब संगीत और हसरत जयपुरी का लिखा यह गीत जो गाया था लता मंगेशकर ने “अजी रूठ कर अब कहाँ जायेगा” ने तहलका मचा दिया था। फ़िल्म “आरजू” में भी साधना ने अपनी स्टाईल को बरकरार रखा। साधना ने रहस्यमयी फ़िल्में ‘मेरा साया’ (1966) सुनील दत्त के साथ और ‘अनीता’ (1967) मनोज कुमार के साथ कीं। दोनों फ़िल्मों की हिरोइन साधना डबल रोल में थी, संगीतकार एक बार फिर मदन मोहन ही थे।

फ़िल्म ‘मेरा साया’ का थीम सोंग “तू जहाँ जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा” और “नैनो में बदरा छाए” जैसे गीत आज भी दिल को छुते हैं। अनीता (1967) से कोरियोग्राफ़र सरोज खान को मौक़ा मिला था। सरोज खान उन दिनों के मशहूर डांस मास्टर सोहन लाल की सहायक थी, गाना था ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में’ इस गाने को आवाज़ दी दी थी [आशा भोंसले]] ने। उस दौर में जब यह यह गाना स्क्रीन पर आता था तो दर्शक दीवाने हो जाते थे और परदे पर सिक्कों की बौछार शुरू हो जाती थी जिन्हें लुटने के लिए लोग आपस में लड़ जाते थे। इस फ़िल्म के गीत भी राजा मेंहदी अली खान ने लिखे थे। कहते हैं कि साधना को नजर लग गयी जिससे उन्हें थायरॉयड हो गया था। अपने ऊँचे फ़िल्मी कैरियर के बीच वो इलाज़ के लिए अमेरिका के बोस्टन चली गयी।

1967 से 1994 तक

अमेरिका से लौटने के बाद, वो फिर फ़िल्मी दुनिया में लौटी और कई कामयाब फ़िल्में उन्होंने की।

इंतकाम (1969) में अभिनय किया, एक फूल माली इन दोनों फ़िल्मों के हीरो थे संजय ख़ान।

बीमारी ने साधना का साथ नहीं छोड़ा अपनी बीमारी को छिपाने के लिए उन्होंने अपने गले में पट्टी बंधी अक्सर गले में दुपट्टा बांध लेती थी, यही साधना आइकन बन गया था और उस दौर की लड़कियों ने इसे भी फैशन के रूप में लिया था।

साल 1974 में ‘गीता मेरा नाम’ रिलीज़ हुई जो उनकी आखिरी कमर्शियल हिट थी, इस फ़िल्म की निर्देशक स्वयं थी और इस फ़िल्म में भी उनका डबल रोल था। सुनील दत्त और फ़िरोज़ ख़ान हीरो थे। साधना की कई फ़िल्में बहुत देर से रिलीज़ हुई। 1970 के आस पास ‘अमानत’ को रिलीज़ होना था लेकिन वो 1975 में रिलीज़ हुई तब बहुत कुछ बदल चुका था।

1978 में ‘महफ़िल’ और 1994 में ‘उल्फ़त की नयी मंजिलें’।

प्रमुख फिल्में

1955  – श्री 4201958  – अबाणा1960 –  लव इन शिमला
1960 –  परख1961 –  हम दोनों1962 –  एक मुसाफिर एक हसीना
1962  – प्रेम पत्र1962 –  मन मौजी1962  – असली नकली
1963 –  मेरे मेहबूब1964 –  वो कौन थी1964  – राजकुमार
1964 – पिकनिक1964  – दूल्हा दुलहन1965  – वक़्त
1965  – आरजू1966  – मेरा साया1967  – अनीता
1968  – स्त्री1969  – सच्चाई1969  – इंतकाम
1969  – एक फूल दो माली1970  – इश्क पर ज़ोर नहीं1971  – आप आये बहार आई
1972  – दिल दौलत दुनिया1973  – हम सब चोर हैं1974 –  गीता मेरा नाम
1974  – छोटे सरकार1974  – वंदना1975  – अमानत
1978  – महफ़िल1987  – नफ़रत1988  – आख़िरी निश्चय
1994  – उल्फ़त की नयी मंज़िलें

पुरस्कार – साधना शिवदासानी की जीवनी

हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए, अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी (आईफा) द्वारा 2002 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।

मृत्यु

साधना का निधन 25 दिसम्बर, 2015 को P. D. Hinduja National Hospital & Medical Research Centre, Mumbai में हुआ था।

इसे भी पढ़े – जाह्नवी कपूर की जीवनी – Jhanvi Kapoor Biography Hindi

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close