आज इस आर्टिकल में हम आपको सत्यजीत रे की जीवनी – Satyajit Ray Biography Hindi के बारे में बताएगे।
सत्यजीत रे की जीवनी – Satyajit Ray Biography Hindi
Satyajit Ray एक भारतीय फिल्म निर्देशक,लेखक, प्रकाशक, चित्रकार, सुलेखक, संगीत कंपोजर, ग्राफ़िक डिज़ाइनर थे।
जिन्हें बीसवीं शताब्दी के सर्वोत्तम फिल्म निर्देशकों में गिना जाता है।
अगर ऐसा कोई भारतीय फिल्मकार है जिसने पश्चिम के भी फिल्म निर्देशकों को प्रभावित किया है
और आज भी कर रहे हैं तो वह निर्विवादित रूप से सत्यजीत रे हैं।
उन्होंने पिक्चर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री व लघु फिल्मों सहित 36 फिल्में निर्देशित की।
इनमें से 32 ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। 6 पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के थे।
अकादमी पुरस्कार ने उन्हे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा।
उन्हें 1992 में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
जन्म – सत्यजीत रे की जीवनी
सत्यजीत राय का जन्म 2 मई, 1921 को कोलकाता में हुआ था। वे एक बंगाली अहीर परिवार से थे।
सत्यजीत रे का पूरा नाम सत्यजित ‘सुकुमार’ राय था।
इसके अलावा उन्हें सत्यजित रे तथा शॉत्तोजित रॉय के नाम से भी जाना जाता था।
उनके पिता का नाम सुकुमार राय था और उनकी माता का नाम सुप्रभा राय था।
जब उनके पिता की मृत्यु हुई तो वे 2 साल के ही थे।
उनका पालन पोषण उनकी मां ने अपने भाई के घर पर किया ।
उनके मां जो एक मंजी हुई गायक और उनकी आवाज काफी दमदार थी ।
सत्यजीत रे के दादा उपेंद्र किशोर राय एक लेखक और चित्रकार थे
उनके पिताजी भी बांग्ला में बच्चों के लिए रोचक कविताएं लिखते थे और वे भी चित्रकारी करते थे।
1949 में राय जी ने दूर की रिश्तेदार और लम्बे समय से उनकी प्रियतमा बिजोय राय से विवाह किया.
शिक्षा
सत्यजीत राय ने कलकत्ता के बल्लीगुंग गवर्नमेंट हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से ही उन्होंने इकनोमिक में बी.ए की पढाई पूरी की। सत्यजीत को कला क्षेत्र में भी काफी रूचि थी।
1940 में, उनकी माँ चाहती थी की सत्यजीत अपनी पढाई रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती यूनिवर्सिटी से करे। सत्यजित राय को कलकत्ता से बहोत प्यार था इसीलिये वे कभी इसे छोड़कर नही जाना चाहते थे, लेकिन फिर भी अपनी माँ के जबरदस्ती करने के बाद उन्हें शान्तिनिकेतन भेजा गया।
शान्तिनिकेतन में सत्यजित राय के कला की काफी प्रशंसा की गयी थी। इसके बाद में उन्होंने प्रसिद्ध पेंटर नंदलाल बोस और बेनोड़े बहरी मुखर्जी से काफी कुछ सिखा। बाद में फिर उन्होंने मुखर्जी पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘द इनर ऑय’ बनाई। भारतीय कला को पहचानने में अजंता, एल्लोरा और एलीफेंटा ने उनकी काफी मदद की।
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करियर – सत्यजीत रे की जीवनी
1947में चिदानन्द दासगुप्ता और अन्य लोगों के साथ मिलकर राय ने कलकत्ता फ़िल्म सभा शुरु की, जिसमें उन्हें कई विदेशी फ़िल्में देखने को मिलीं। इन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में कोलकाता में स्थापित अमरीकन सैनिकों से दोस्ती कर ली जो उन्हें शहर में दिखाई जा रही नई-नई फ़िल्मों के बारे में सूचना देते थे।
1949 में राय ने दूर की रिश्तेदार और लम्बे समय से उनकी प्रियतमा बिजोय राय से विवाह किया। इनका एक बेटा हुआ, सन्दीप, जो अब ख़ुद फ़िल्म निर्देशक है। इसी साल फ़्रांसीसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार कोलकाता में अपनी फ़िल्म की शूटिंग करने आए। राय ने देहात में उपयुक्त स्थान ढूंढने में रन्वार की मदद की।
राय ने उन्हें पथेर पांचाली पर फ़िल्म बनाने का अपना विचार बताया तो रन्वार ने उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित किया। 1950 में डी. जे. केमर ने राय को एजेंसी के मुख्यालय लंदन भेजा। लंदन में बिताए तीन महीनों में राय ने 99 फ़िल्में देखीं। इनमें शामिल थी, वित्तोरियो दे सीका की नवयथार्थवादी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत्ते (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) जिसने उन्हें अन्दर तक प्रभावित किया। राय ने बाद में कहा कि वे सिनेमा से बाहर आए तो फ़िल्म निर्देशक बनने के लिए दृढ़संकल्प थे
फ़िल्मों में मिली सफलता से राय का पारिवारिक जीवन में अधिक परिवर्तन नहीं आया। वे अपनी माँ और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही एक किराए के मकान में रहते रहे। 1960 के दशक में राय ने जापान की यात्रा की और वहाँ जाने-माने फिल्म निर्देशक अकीरा कुरोसावा से मिले। भारत में भी वे अक्सर शहर के भागम-भाग वाले माहौल से बचने के लिए दार्जीलिंग या पुरी जैसी जगहों पर जाकर एकान्त में कथानक पूरे करते थे।
कृतियाँ
रे जी ने बांग्ला भाषा के बाल-साहित्य में दो लोकप्रिय चरित्रों की रचना की — गुप्तचर फेलुदाऔर वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर शंकु। इन्होंने कई लघु-कथाएँ भी लिखीं, जो बारह-बारह कहानियों के संकलन में प्रकाशित होती थीं और सदा उनके नाम में बारह से संबंधित शब्दों का खेल रहता था।
उदाहरण के लिए एकेर पिठे दुइ ( एक के ऊपर दो)। राय को पहेलियों और बहुअर्थी शब्दों के खेल से बहुत प्रेम था। इसे इनकी कहानियों में भी देखा जा सकता है – फेलुदा को अक्सर मामले की तह तक जाने के लिए पहेलियाँ सुलझानी पड़ती हैं। शर्लक होम्स और डॉक्टर वाटसन की तरह फेलुदा की कहानियों का वर्णन उसका चचेरा भाई तोपसे करता है।
प्रोफेसर शंकु की विज्ञानकथाएँ एक दैनन्दिनी के रूप में हैं जो शंकु के अचानक गायब हो जाने के बाद मिलती है। राय ने इन कहानियों में अज्ञात और रोमांचक तत्वों को भीतर तक टटोला है, जो उनकी फ़िल्मों में नहीं देखने को मिलता है। इनकी लगभग सभी कहानियाँ हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।
राय के लगभग सभी कथानक भी बांग्ला भाषा में साहित्यिक पत्रिका एकशान में प्रकाशित हो चुके हैं। राय ने 1982 में आत्मकथा लिखी जखन छोटो छिलम (जब मैं छोटा था)। इसके अलावा उन्होंने फ़िल्मों के विषय पर कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से प्रमुख है आवर फ़िल्म्स, देयर फ़िल्म्स (Our Films, Their Films, हमारी फ़िल्में, उनकी फ़िल्में)।
1976 के बाद
1976 में प्रकाशित इस पुस्तक में राय की लिखी आलोचनाओं का संकलन है। इसके पहले भाग में भारतीय सिनेमा का विवरण है और दूसरा भाग हॉलीवुड पर केन्द्रित है।
राय ने चार्ली चैपलिन और अकीरा कुरोसावा जैसे निर्देशकों और इतालवी नवयथार्थवाद जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया है।
1976 में ही इन्होंने एक और पुस्तक प्रकाशित की — विषय चलचित्र (বিষয় চলচ্চিত্র) जिसमें सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर इनके चिंतन का संक्षिप्त विवरण है। इसके अतिरिक्त इनकी एक और पुस्तक एकेई बोले शूटिंग ( इसको शूटिंग कहते है) (1979) और फ़िल्मों पर अन्य निबंध भी प्रकाशित हुए हैं।
राय ने बेतुकी कविताओं का एक संकलन तोड़ाय बाँधा घोड़ार डिम (घोड़े के अण्डों का गुच्छा) भी लिखा है, जिसमें लुइस केरल की कविता जैबरवॉकी का अनुवाद भी शामिल है। इन्होंने बांग्ला में मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियों का संकलन भी प्रकाशित किया।
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सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित फिल्में – सत्यजीत रे की जीवनी
- 1955 – पाथेर पांचाली (निर्माता- पश्चिम बंगाल सरकार पटकथा- विभूति भूषण बनर्जी के उपन्यास पाथेर पांचाली से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- रवि शंकर ध्वनि- भूपेन घोष
- 1956 अपराजिता ( निर्माता- एपिक फ़िल्म्स (सत्यजीत राय) पटकथा- विभूति भूषण बनर्जी के उपन्यास पाथेर पांचाली से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- रवि शंकर ध्वनि- दुर्गादास मित्रा)
- 1958 पारस पत्थर(निर्माता- प्रमोद लाहिड़ी पटकथा- परशुराम की लघुकथा पारस पाथेर से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- रवि शंकर ध्वनि- दुर्गादास मित्रा )
- 1958 जलसा घर ( निर्माता- सत्यजीत राय प्रोडक्शंस पटकथा- ताराशंकर बनर्जी की लघु कहानी जलसा घर से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- विलायत खान, बेगम अख़्तर और रोशन कुमारी, वाहिद ख़ाँ, बिस्मिल्ला ख़ाँ और कंपनी द्वारा पर्दे पर तथा दक्षिणामोहन ठकर, अशीष कुमार, रोबिन मजूमदार और इमरात ख़ाँ द्वारा संगीत और नृत्य की प्रस्तुति, (पर्दे के पीछे) ध्वनि- दुर्गादास मित्रा )
- 1959 अपूर संसार(निर्माता- सत्यजीत राय प्रोडक्शंस पटकथा- विभूति भूषण के उपन्यास अपराजित से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- रविशंकर ध्वनि- दुर्गादास मित्रा)
- 1960 देवी (निर्माता- सत्यजीत राय प्रोडक्शंस पटकथा- रवीन्द्रनाथ टैगोर की परिकल्पना पर आधारित प्रभाव कुमार मुखर्जी की लघुकथा देवी से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- अली अकबर ख़ाँ ध्वनि- दुर्गादास मित्रा )
1961 से 1964 तक
- 1961 तीन कन्या(निर्माता- सत्यजीत राय प्रोडक्शंस पटकथा- रवीन्द्रनाथ टैगोर की तीन लघु कहानियों से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सोमेंदु राय संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- सत्यजीत राय ध्वनि- दुर्गादास मित्रा)
- 1961 रविंद्र नाथ टैगोर (निर्माता- फ़िल्म प्रभाग, भारत सरकार पटकथा और व्याख्या- सत्यजीत राय छायांकन- सोमेंदु राय संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- ज्योतिरिंद्र मोइत्रा पर्दे के पीछे से गीत और नृत्य की प्रस्तुति : अशेष बनर्जी (इसराज) और गीताबितन।)
- 1962 कंचनजंघा (निर्माता- एन. सी. ए. प्रोडक्शंस मूल पटकथा- सत्यजीत राय छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- सत्यजीत राय, ध्वनि- दुर्गादास मित्रा )
- 1962 अभिजान (निर्माता- अभिजात्रिक पटकथा- ताराशंकर बनर्जी के उपन्यास अभिजान से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सोमेंदु राय संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- सत्यजीत राय, ध्वनि- दुर्गादास मित्रा, नृपेन पाल, सुजीत सरकार )
- 1963 महानगर (निर्माता- आर डी बी एंड कंपनी (आर डी बंसल) पटकथा- नरेंद्रनाथ मित्रा की लघुकथा अबतरनीका से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- सत्यजीत राय, ध्वनि- देवेश घोष, अतुल चटर्जी, सुजीत सरकार)
- 1964 चारुलता ( निर्माता- आर डी बी एंड कंपनी (आर डी बंसल) पटकथा- रवीन्द्रनाथ टैगोर के उपन्यास नास्तेनीर से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सुब्रत मित्रा संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- सत्यजीत राय, ध्वनि- नृपेन पाल, अतुल चटर्जी, सुजीत सरकार)
- 1964 टू (निर्माता- एस्सो वर्ल्ड थियेटर मूल पटकथा- सत्यजीत राय छायांकन- सोमेंदु राय संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- सत्यजीत राय, ध्वनि- सुजीत सरकार )
1965 से 1991 तक
- 1965 कापुरुष और महापुरुष ( निर्माता- आर डी बी एंड कंपनी (आर डी बंसल) पटकथा- प्रेमेंद्र मित्रा की लघुकथा जनायको कापुरुषेर कहानी और परशुराम की बिरिंची बाबा से सत्यजीत राय द्वारा छायांकन- सोमेंदु राय संपादन- दुलाल दत्ता कला निर्देशन- बंसी चंद्रगुप्ता संगीतकार- सत्यजीत राय, ध्वनि- नृपेन पाल, अतुल चटर्जी, सुजीत सरकार)
- 1966 नायक
- 1967 चिड़ियाखाना
- 1968 गोपी गायने बाघा बायने
- 1969 अरण्येर दिन रात्रि
- 1970 – प्रतिध्वनि
- 1971 सीमाबद्ध
- 1971 सिक्किम
- 1972 द इनर आई
- 1973 अशनि संकेत
- 1974 सोनार केल्ला
- 1975 जन अरण्य
- 1976 बाला
- 1977 शतरंज के खिलाड़ी (गायक- रेवा मुहुरी, बिरजू महाराज, कलकत्ता यूथ कोर, पटकथा- मुंशी प्रेमचंद की लघुकथा शतरंज के लिखाड़ी से सत्यजीत राय द्वारा कलाकार फारुख़ शेख़ (आकील) व अन्य )
- 1978 जय बाबा फेलूनाथ
- 1980 हीरक राजार देशे
- 1980 पिकू
- 1981 सद्गति
- 1984 घरे बाहर
- 1987 सुकुमार राय
- 1989 गण शत्रु
- 1990 शाखा प्रशाखा
- 1991 आगंतुक (कलाकार – उत्पल दत्त, दीपांकर डे, ममता शंकर) क्या करते हो
पुरस्कार और सम्मान
राय को जीवन में अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिले। ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने इन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की। चार्ली चैपलिन के बाद ये इस सम्मान को पाने वाले पहले फ़िल्म निर्देशक थे। इन्हें 1985 में दादासाहब फाल्के पुरस्कार और 1987 में फ़्राँस के लेज़्यों द’ऑनु पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मृत्यु से कुछ समय पहले इन्हें सम्मानदायक अकादमी पुरस्कार और भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किये गए। मरणोपरांत सैन फ़्रैंसिस्को अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्मोत्सव में इन्हें निर्देशन में जीवन-पर्यन्त उपलब्धि-स्वरूप अकिरा कुरोसावा पुरस्कार मिला जिसे इनकी ओर से शर्मिला टैगोर ने ग्रहण किया।
सामान्य रूप से यह समझा जाता है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने जो फ़िल्में बनाईं उनमें पहले जैसी ओजस्विता नहीं थी। उनका व्यक्तिगत जीवन कभी मीडिया के निशाने पर नहीं रहा लेकिन कुछ का विश्वास है कि 1960 के दशक में फ़िल्म अभिनेत्री माधवी मुखर्जी से उनके संबंध रहे।
सत्यजीत राय को मिले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- 1956 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म – पाथेर पंचाली
- 1959 द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फिल्म – जलसाघर
- 1959 सर्वश्रेष्ठ फिल्म बांग्ला – जलसाघर
- 1960 सर्वश्रेष्ठ फिल्म – अपूर संसार
- 1962 सर्वश्रेष्ठ फिल्म बांग्ला – तीन कन्या
- 1963 सर्वश्रेष्ठ बांग्ला फिल्म- अभियान
- 1963 द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फिल्म- अभियान
- 1965 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म -चारुलता
- 1967 सर्वश्रेष्ठ पटकथा – नायक
- 168 सर्वश्रेष्ठ निर्देशन – चिड़िया खाना
- 1969 सर्वश्रेष्ठ फिल्म – गुपी गाइन बाघा बाइन
- 69 सर्वश्रेष्ठ निर्देशन – गुपी गायन बाघा बाइन
- 1970 में सर्वश्रेष्ठ बांग्ला फिल्म – गुपी गाइन बाघा बाइन
- 1971 द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन, सर्वश्रेष्ठ पटकथा, सर्वश्रेष्ठ फिल्म बांग्ला – प्रतिद्वंदी
- 1972 सर्वश्रेष्ठ फिल्म – सीमाबद्ध
- 1973 सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन और 1974 सर्वश्रेष्ठ बांग्ला फिल्म- अशनि संकेत
- 1975 सर्वश्रेष्ठ बांग्ला फिल्म, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन , सर्वश्रेष्ठ पटकथा – सोनार केल्ला
- 1976 सर्वश्रेष्ठ निर्देशन – जन अरण्य
- 1981 श्रेष्ठ गीतकार – हीरक राजार देशे
- 1982 विशेष जूरी पुरस्कार -सद गति( हिंदी)
- 1985 सर्वश्रेष्ठ फिल्म बांग्ला- गणशत्रु
- 1992 फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशन – आगंतुक
- 1994 सर्वश्रेष्ठ पटकथा- उत्तोरण
सत्यजीत राय को मिले सम्मान, उपाधि एवं पुरस्कार की सूची
- 1958 में भारत सरकार द्वारा पदम श्री
- 1965 में भारत सरकार द्वारा पदम भूषण
- रमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा 1966 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार
- 1971 में युगोस्वालिया सरकार द्वारा स्टार ऑफ युगोस्लाविया
- 1973 में दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली द्वारा डॉक्टर ऑफ लैटर्स
- रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट्स ,लंदन द्वारा डी लिट की उपाधि 1974 में
- 1976 में भारत सरकार द्वारा पदम विभूषण
- ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा 1978 में डी लिट की उपाधि
- बर्लिन फिल्म समारोह में 1978 मे विशेष पुरस्कार
- 1979 मॉस्को फिल्म समारोह में विशेष पुरस्कार
- 1980 में बर्द्धमान विश्वविद्यालय, भारत द्वारा डी लिट की उपाधि
- 1980 जादवपुर विश्वविद्यालय, भारत द्वारा डी लिट की उपाधि से सम्मानित
- 181 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया
- 1981 में उत्तरी बंगाल विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की उपाधि से नवाजा गया।
- 1982 में कौन सी फिल्म समारोह में होमाज अ सत्यजीत राय
- विशेष गोल्डन लॉयन ऑफ सेंट मार्क्स 1982 में वेनिस फिल्म समारोह में
- 1982 में विद्यासागर पुरस्कार पश्चिमी बंगाल सरकार द्वारा दिया गया
- 1983 में फलों से पुरस्कार ब्रिटिश फिल्म संस्था द्वारा दिया गया
- कोलकाता विश्वविद्यालय द्वारा 1985 में डी लिट की उपाधि से नवाजा गया
- 1985 में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया।
- 1985 में सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार सोवियत संघ द्वारा
- 1986 में संगीत नाटक अकादमी, भारत द्वारा फैलोशिप पुरस्कार से नवाजा गया।
- 1987 में रविंद्र भारती विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की उपाधि से नवाजा गया
- 1992 में ऑस्कर पुरस्कार( लाइफ टाइम अचीवमेंट) मोशन पिक्चर आर्ट्स एवं विज्ञान अकादमी द्वारा दिया गया
- 1992 में विश्व सिनेमा में अभूतपूर्व योगदान के लिए सत्यजित राय को मानद ऑस्कर अवॉर्ड से अलंकृत किया गया।
मृत्यु – सत्यजीत रे की जीवनी
22 अप्रैल,1992 को कोलकाता में सत्यजीत राय जी की मृत्यु हो गई
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