आज इस आर्टिकल में हम आपको श्रीराम शर्मा आचार्य की जीवनी – Shriram Sharma Acharya Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
श्रीराम शर्मा आचार्य की जीवनी – Shriram Sharma Acharya Biography Hindi
Shriram Sharma Acharya एक समाज सुधारक, दार्शनिक और अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक थे।
पंडित मदन मोहन मालवीय ने उनका यज्ञोपवीत संस्कार कर गायत्री मंत्र की दीक्षा दी।
15 साल की उम्र से 24 साल की उम्र तक हर साल 24 लाख बार गायत्री मंत्र का जप किया।
चार बार हिमालय गए। स्वतन्त्रता संग्राम मे भी भाग लिया। तीन बार जेल गए।
1971 में हरिद्वार में शांतिकुंज की स्थापना की। यहीं से गायत्री परिवार की शुरुआत हुई।
जन्म
पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म 20 सितम्बर,1911 को उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के आंवलखेड़ा गांव में हुआ था।
उनका बाल्यकाल गांव में ही बीता।
उनके पिता श्री पंडित रूपकिशोर जी शर्मा जी जमींदार घराने के थे और दूर-दराज के राजघरानों के राजपुरोहित, उद्भट विद्वान, भगवत् कथाकार थे।
तथा उनकी माता का नाम दंकुनवारी देवी ( Dankunvari Devi ) था।
उनकी पत्नी का नाम भगवती देवी शर्मा था।
शिक्षा
पंडित मदन मोहन मालवीय ने उनका यज्ञोपवीत संस्कार कर गायत्री मंत्र की दीक्षा दी।
15 साल की उम्र से 24 साल की उम्र तक हर साल 24 लाख बार गायत्री मंत्र का जप किया।
करियर – श्रीराम शर्मा आचार्य की जीवनी
1927 से 1933 तक स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। वे घरवालो के विरोध क्वे बावजूद कई समय तक भूमिगत कार्य करते रहे और समय आने पर जेल भी गए।
जेल में भी अपने साथियों को शिक्षण दिया करते थे और वे वहां से अंग्रेजी सिखकर लौटे। जेल में उन्हें देवदास गाँधी, मदन मोहन मालवीय, और अहमद किदवई जैसे लोगो का मार्ग दर्शन मिला।
श्री गणेशशंकर विद्यार्थी से पंडित जी बहुत प्रभावित हुए थे। इनके ही कारण पंडित जी राजनीति में आये थे। राजनीती में प्रवेश करने के बाद पंडित जी महात्मा गाँधी के अत्यन्त निकट आ गए थे।
1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय शर्मा जी को मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश का प्रभारी नेता नियुक्त किया गया था। इसके पहले मैनपुरी षड़यंत्र में उनकी सहभागिता थी।
शर्मा जी ने 1942 में आगरा षड़यंत्र केस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस केस का नाम king emperor v/s shree ram sharma था। इस मुक़दमे में पंडितजी के बड़े पुत्र रमेश कुमार, उनकी बेटी कमला व उनके बड़े भाई बालाप्रसाद शर्मा भी पकडे गए थे। वर्ष 1945 के अंत में सभी लोग रिहा हो गए थे। इस मुक़दमे के दौरान पंडित जी तीनो पुत्रो की मृत्यु हो गयी थी।
इस दौरान पंडित जी के साथ भी गलत व्यवहार व यातनाये दी गई जिससे उनका कान का पर्दा फट गया था। जेल से छूटने के बाद वे गांधीजी से मिलने गए थे। महात्मा गांधी जी की हत्या के बाद वे लेखन के कार्य में अधिक रहे। ग्लूकोमा के कारण पंडित जी की दोनों नेत्रों की ज्योति चली गयी थी। जिसके बाद नेत्रहीन अवस्था में पांच पुस्तके बोलकर लिखी।
Read This -> सदाशिवराव भाऊ की जीवनी – Sadashivrao Bhau Biography Hindi
रचनाएँ
पुस्तकें
अध्यात्म एवं संस्कृति | गायत्री और यज्ञ | विचार क्रांति |
व्यक्ति निर्माण | परिवार निर्माण | समाज निर्माण |
युग निर्माण | वैज्ञानिक अध्यात्मवाद | बाल निर्माण |
वेद पुराण एवम् दर्शन | प्रेरणाप्रद कथा-गाथाएँ | स्वास्थ्य और आयुर्वेद |
समग्र साहित्य
- भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व
- समस्त विश्व को भारत के अजस्र अनुदान
- गायत्री महाविद्या
- यज्ञ का ज्ञान-विज्ञान
- युग परिवर्तन कब और कैसे
- स्वयं में देवत्व का जागरण
- समग्र स्वास्थ्य
- यज्ञ एक समग्र उपचार प्रक्रिया
- ईश्वर कौन है? कहाँ है? कैसा है?
- निरोग जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र
- जीवेम शरदः शतम्
- विवाहोन्माद : समस्या और समाधान
क्रांतिधर्मी साहित्य – श्रीराम शर्मा आचार्य की जीवनी
- शिक्षा ही नहीं विद्या भी
- भाव संवेदनाओं की गंगोत्री
- संजीवनी विद्या का विस्तार
- आद्य शक्ति गायत्री की समर्थ साधना
- जीवन साधना के स्वर्णिम सूत्र
- नवयुग का मत्स्यावतार
- इक्कीसवीं सदी का गंगावतरण
- महिला जागृति अभियान
- इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य-भाग 1
- इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य-भाग 2
- युग की माँग प्रतिभा परिष्कार-भाग 1
- युग की माँग प्रतिभा परिष्कार-भाग 2
- सतयुग की वापसी
- परिवर्तन के महान् क्षण
- महाकाल का प्रतिभाओं को आमंत्रण
- प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
- नवसृजन के निमित्त महाकाल की तैयारी
- समस्याएँ आज की समाधान कल के
- मन: स्थिति बदले तो परिस्थिति बदले
- स्रष्टा का परम प्रसाद-प्रखर प्रज्ञा
- जीवन देवता की साधना-आराधना
- समयदान ही युग धर्म
- युग की माँग प्रतिभा परिष्कार
Read This -> त्रिभुवन नारायण सिंह की जीवनी – Tribhuvan Narain Singh Biography Hindi
विचार
- जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं- एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं।
- विचारों के अन्दर बहुत बड़ी शक्ति होती है । विचार आदमी को गिरा सकतें है और विचार ही आदमी को उठा सकतें है । आदमी कुछ नहीं हैं ।
- लक्ष्य के अनुरूप भाव उदय होता है तथा उसी स्तर का प्रभाव क्रिया में पैदा होता है।
- लोभी मनुष्य की कामना कभी पूर्ण नहीं होती।
- मानव के कार्य ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है।
- अव्यवस्तिथ मस्तिष्क वाला कोई भी व्यक्ति संसार में सफल नहीं हो सकता।
- जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मा विश्वास उतना ही ज़रूरी है ,जितना जीने के लिए भोजन। कोई भी सफलता बिना आत्मविश्वास के मिलना असंभव है।
- मैं इस संसार का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हूँ।
- अवसर तो सभी को जिन्दगी में मिलते हैं, किंतु उनका सही वक्त पर सही तरीके से इस्तेमाल कुछ ही कर पाते हैं।
- इस संसार में प्यार करने लायक दो वस्तुएँ हैं-एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।
- जब हम ऐसा सोचते हैं की अपने स्वार्थ की पूर्ती में कोई आंच न आने दी जाय और दूसरों से अनुचित लाभ उठा लें तो वैसी ही आकांक्षा दूसरे भी हम से क्यों न करेंगे।
मृत्यु – श्रीराम शर्मा आचार्य की जीवनी
पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य की मृत्यु 2 जून 1990 में हरिद्वार, भारत में हुई।
इसे भी पढ़े – राजा कुरु की जीवनी – Raja Kuru Biography Hindi